चंडीगढ़-मनाली को बेहतर कॉनेटिविटी देने के लिए किरतपुर-मनाली फ़ोरलेन प्रोजेक्ट पर हो रहा काम
Manali Four Lane: चंडीगढ़-मनाली को बेहतर कॉनेटिविटी प्रदान करने के लिए किरतपुर-मनाली फ़ोरलेन प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. साथ ही जानें किन चीजों का बढ़ा खतरा.
Manali News: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में NH श्रेणी में सात सौ KM से ज़्यादा की सड़क का विस्तारिकरण किया जा रहा है. ऐसे में चंडीगढ़-मनाली को बेहतर कॉनेटिविटी प्रदान करने के लिए किरतपुर-मनाली फ़ोरलेन प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. यह नई सड़क बेहद महत्वपूर्ण होगी.
पिछले दस वर्षों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद खूबसूरत इलाकों से गुजरने वाले हाईवे का कार्य लगभग पूरा होने को हैं. इस सड़क पर अमूमन हिस्से को यातायात के लिए बहाल कर दिया गया है. नई और मोर्डन कॉनेटिविटी से पर्यटन की रफ़्तार प्रदेश में और तेज हो जाएगी.
बागवान-किसान अपनी फसल आसानी से दूसरे राज्यों तक पहुंचा पाएंगे. इतना ही नहीं UT लद्दाख़ तक भारतीय सेना को रसद पहुंचना सुगम हो जाएगा, लेकिन इस नव निर्मित हाईवे पर मंडी से मनाली के मध्य दरकते पहाड़, भूस्खलन व बाढ़ का खतरा कॉनेटिविटी को हर साल प्रभावित कर रहा है. इतना ही नहीं बीते कुछ सालों में भूस्खलन और चट्टानों की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो चुकी है.
इस महत्वपूर्ण विषय पर मंडी से मनाली तक प्रभावित इलाक़ों में जाकर हमारी टीम से ग्राउंड ज़ीरो से ख़ास रेपोर्ट तैयार की है -
आधुनिक सुरंगे, पुल, मोर्डन तकनीक का इस्तेमाल इस हाईवे पर यातायात व्यवस्था के लिए किया जा रहा है, लेकिन दरकते पहाड़, भूस्खलन प्रभावित इलाक़ों पर महज बोर्ड लगाकर NHAI अपना कार्य कर रही है. यह लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ रही हैं.
हमारी टीम मंडी से कुछ KM की दूरी तय कर जा पहुंची. सबसे खतरनाक SPOT छः मील. आपको बता दें की मंडी पुलिस द्वारा दी जानकारी के मुताबिक, मंडी से नगवाई/झिरी तक 50 KM की दूरी की सड़क पर पिछले दस वर्षों में 521 ऐक्सिडेंट हुए हैं, जिनमें 126 घायल व 904 लोगों की मौत हो चुकी हैं. इन हादसों में भूस्खलन, चट्टान गिरना जैसे हादसे भी मुख्य वजह हैं.
इस इलाके से कुछ दूरी पर थलौट मार्केट के साथ इस सड़क पर बन रही आख़िरी टनल को जोड़ने वाले हाईवे के हिस्से पर भूस्खलन कैसे राह रोके हुए है यह देखना चाहिए. इस भूस्खलन की वहज से यहां के गांव के कई मकान और मंदिर में दरारें आ चुकी हैं. जिसकी वजह से गांव के लोग अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर चुके हैं.
स्टोरी बाई- संदीप सिंह, मनाली