नीतेश सैनी/मंडी: प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में पहली बार एफडीआर यानी फुल डेप्थ रेक्लामेशन तकनीक से सड़कों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. प्रदेश में सबसे पहले इस तकनीक का ट्रायल बेस पर इस्तेमाल मंडी जिला में किया जा रहा है. मंडी शहर के साथ लगते गणपति मंदिर से लेकर कून का तर तक बनी 20 किमी लंबी सड़क पर इस तकनीक को अपनाया जा रहा है.


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एफडीआर तकनीक के तहत सड़क पर तारकोल के साथ बिछाई गई कंकरीट को मशीनों की मदद से उखाड़ा जाता है और उसी मेटेरियल को फिर से रिसाइकिल करके उसमें सीमेंट और केमिकल मिलाकर उसका दोबारा से इस्तेमाल किया जाता है. इसे ही एफडीआर तकनीक कहते हैं. यह तकनीक विदेशों के बाद देश के दूसरे राज्यों में तो इस्तेमाल हो रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में इसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है. 


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लोक निर्माण विभाग मंडी जोन के चीफ इंजीयिनर एनपीएस चौहान ने बताया कि इस तकनीक को अभी ट्रायल बेस पर शुरू किया गया है. एक सप्ताह बाद इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी और उसके बाद ही इसमें आगामी निर्णय लिया जाएगा, लेकिन देश के बाकी राज्यों से जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार यह तकनीक काफी पर्यावरण प्रिय है, क्योंकि इसमें पुराने मेटेरियल का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो जाता है. भविष्य में मंडी और कुल्लू जिला में इस तकनीक से 20 सड़कें बनाने का लक्ष्य रखा गया है.


इस तकनीक के साथ पहली बार काम करने वाले डीकेएस कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी नीतिश शर्मा ने बताया कि इस तकनीक से जहां काम जल्दी हो रहा है, वहीं इसमें सरकार का खर्च भी कम हो रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर जहां सरकार 100 रुपये खर्च करती थी वहां अब सिर्फ 60 या 64 रुपए में काम हो रहा है. इससे जहां सरकार के पैसों की बचत हो रही है, वहीं समय पर काम भी हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक के लिए वे कुछ मशीनों को किराए पर लेकर आए हैं जबकि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम आने पर इनका और अधिक इस्तेमाल किया जाएगा.


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