जियो डायनामिक इन हिमालया एंड डिजास्टर मैनेजमेंट थीम पर धर्मशाला में 6 से 8 नवंबर तक होगा आपदा पर मंथन
Dharamshala News in Hindi: जियो डायनामिक इन हिमालया एंड डिजास्टर मैनेजमेंट थीम पर धर्मशाला में 6 से 8 नवंबर तक आपदा पर मंथन होगा. जिसका सीएम शुभारंभ करेंगे और राज्यपाल समापन.
Dharamshala News: जियो डायनामिक इन हिमालया एंड डिजास्टर मैनेजमेंट थीम पर आधारित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में तीन दिनों तक धर्मशाला में आपदा पर मंथन किया जाएगा. जिसमें देश-विदेश के 150 से अधिक भू-वैज्ञानिक, प्रोफेसर्स, वैज्ञानिक और शोधार्थी भाग लेंगे.
कांफ्रेंस का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी हिमाचल प्रदेश और ज्योलॉजिकल सोसायटी आफ इंडिया बैंगलौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है.
6 से 8 नवंबर तक होने वाली इस कांफ्रेंस का शुभारंभ 6 नवंबर को प्रदेश के सीएम सुखविंगर सिंह सुक्खू करेंगे, जबकि 8 नवंबर को समापन अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे. गौरतलब है कि प्रदेश में आपदा पर मंथन के लिए पहली बार इस तरह की कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है.
कांफ्रेंस में भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने, बाढ़ जैसी आपदाओं पर मंथन किया जाएगा. सीयू के पर्यावरण विभाग के डीन डॉ. अंबरीश महाजन ने इस संबंध में इस काॉफ्रेंस के लिए दो साल पहले आवेदन किया था, जिसे स्वीकृति मिल गई थी. इसी के चलते अब बड़े स्तर पर इंटरेनशनल कांफ्रेंस का आयोजन सीयू हिमाचल प्रदेश में किया जा रहा है.
कांफ्रेंस में भाग लेने ज्योलॉजिकल सोसायटी आफ अमेरिका के अध्यक्ष प्रो. क्रिस्टोफर धर्मशाला आएंगे. इसी के साथ भारत सरकार के 9 एडिशनल डायरेक्टर जनरल और डिप्टी डायरेक्टर जनरल भी शिरकत करेंगे. भारत सरकार के मिनिस्ट्री आफ अर्थ एंड साइंस, मिनिस्ट्री आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वाडिया इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलॉजी देहरादून सहित कारपोरेट सेक्टर के पार्टनर के सहयोग से इसका आयोजन किया जाएगा.
भूकंप की दृष्टि से पूरा प्रदेश संवेदनशीन है. इस कांफ्रेस के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, ज्योलॉजिकल सोसायटी आफ इंडिया, ज्योलॉजिकल सोसायटी आफ अमेरिका मिलकर गहन मंथन के उपरांत संयुक्त रूप से व्हाइट पेपर तैयार करेंगे, जो कि न केवल प्रदेश, बल्कि देश में आने वाली आपदाओं से बचाव में कारगर साबित हो सकता है.
सीयू एचपी के वीसी प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि 50 फीसदी आपदाएं एकाएक आती हैं. उनमें नुकसान को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. 50 फीसदी त्रास्दी का आभास हम रोक भी सकते हैं. इसको लेकर एक अच्छा व्हाइट पेपर कांफ्रेंस के जरिए जारी किया जाएगा, जो कि भविष्य में त्रास्दी या आपदा की स्थिति से निपटने में कारगर सिद्ध होगा.
वीसी ने कहा कि मैंने हाल ही में कई देशों का दौरा कर पाया है कि भारत में कई ऐसी चीजें हैं, जिनके अध्ययन की बेहद जरूरत है. कई विकसित देशों में आपदा से निपटने के लिए बेहतर व्यवस्थाएं हैं, अगर जरूरत पड़ेगी तो केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश उस तरह का आधारभूत ढांचा स्थापित करेगा, जिससे कि शोध के माध्यम इस दिशा में और कार्य किया जा सके.