भांग के औषधीय एवं औद्योगिक उपयोग के लिए सदन में संकल्प हुआ पारित
Hemp Farming News: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही भांग की शुरू हो जाएगी. इससे राज्य को सालाना 18 हजार करोड़ रुपये आय होने का अनुमान जताया जा रहा है.
समीक्षा कुमारी/शिमला: भांग की खेती को औषधीय इस्तेमाल के लिए लीगल करने के लिए 10 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था. इसकी अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी कर रहे थे. इसके अलावा इस कमेटी में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव मोहनलाल ब्राक्टा, विधायक हंसराज, विधायक जनक राज, विधायक पूर्ण चंद ठाकुर, विधायक सुरेंद्र शौरी, विधायक केवल सिंह पठानिया, अधिवक्ता देवन खन्ना और राज्य कर एवं आबकारी के प्रशासनिक अतिरिक्त आयुक्त शामिल थे.
भांग की खेती को वैध करने से राज्य को सालाना 18 हजार करोड़ रुपये आय होने का अनुमान है. प्रदेश में अनुमानित 2400 एकड़ भूमि में भांग की संगठित अवैध खेती हो रही है. गांजा परंपरागत रूप से पुराने हिमाचल के कुछ हिस्सों में उगाया जाता रहा है, जिसमें शिमला, मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर शामिल हैं. सरकार ने गांजा की खेती वैध करने के लिए पांच विधायकों की एक समिति बनाई है. यह समिति हिमाचल के उन क्षेत्रों का दौरा करेगी, जहां भांग की खेती अवैध रूप से की जाती है. यह समिति सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद महीनेभर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर भांग की खेती को वैध करने के बारे में सरकार अंतिम फैसला लेगी.
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एनडीपीएस एक्ट के तहत राज्यों को औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती को साधारण और विशेष आदेशों के तहत अनुमति देने की शक्तियां निहित की गई हैं. यह अनुमति केवल भांग के रेशे और इसके बीज का बागवानी और औषधीय उपयोग करने के लिए ही दी जा सकती है. बता दें, भांग की खेती का इतिहास लगभग 12 हजार वर्ष पुराना है. इसकी गिनती मानव द्वारा उगाई जाने वाली सबसे पुरानी फसलों में होती है. ऐसे में सुक्खू सरकार राज्य में भांग की खेती को राजस्व अर्जित करने के उद्देश्य से वैध करने की सोच रही है. सरकार का मानना है कि औषधीय और औद्योगिक क्षेत्र के लिए भांग की खेती कारगार साबित होगी.
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में भांग की खेती को वैध बनाने के करीब पहुंचने के साथ ही उत्पादक आर्थिक वृद्धि को लेकर उत्साहित और आशावादी हैं, हालांकि चिंताओं और समाज पर इसके कई प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसमें किशोरों और युवाओं के बीच भांग के उपयोग-दुरुपयोग के प्रति आकर्षण, भांग के अवैध उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के बीच मजबूत होता गठजोड़, चोरी का खतरा और अप्रेरणाजनक सिंड्रोम की घटना शामिल है.
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