शिमला में BJP विधायक रणधीर शर्मा ने CM सुक्खू पर उठाए सवाल, कहा-बागवानों के साथ हो रहा खिलवाड़
Himachal Pradesh News: हिमाचल की राजधानी शिमला में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक रणधीर शर्मा ने कांग्रेस का सुक्खू सरकार पर बागवानों पर हो रहे अन्याय को लेकर सवाल किए हैं.
Shimla News: शिमला में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक रणधीर शर्मा ने सीएम सुखविन्द्र सिंह सुक्खू और कांग्रेस सरकार पर कई सारे सावल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार बागवानों के हितों के साथ खिलवाड़ करती दिखाई दे रही है. हिमाचल प्रदेश का बागवान पिछले 6 महीने से चिल्ला-चिल्लाकर यूनिवर्सल कार्टन की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहे हैं.
भाजपा नेता ने कहा कि न तो मुख्यमंत्री चिंतित है और न ही उप-मुख्यमंत्री और आज जब बागवानी मंत्री पराला सेब मंडी में पहुंचे तो बागवानों ने सरकार के फैसले की कलई खोल कर रख दी. सुक्खू सरकार ने निर्णय किया कि पेटी 24 किलो की होगी. उनको यह ध्यान नहीं आया कि बागवान अपने बगीचे में कंडा कहां से लाएगा, कहां से तोलेगा और इससे 24 किलो का जो दुष्परिणाम है. वह इस कदर पहुंचा कि बाजार में 2 किलो सेब की कटौती शुरू हो गई. जिसके कारण बागवानों को भारी नुकसान हो रहा है.
उन्होनें कहा कि पेटी में 2 किलो की कटौती किस नियम के तहत की जा रही है. इसकी जानकारी सरकार द्वारा बागवानों के सामने रखी जानी चाहिए. सेब किलो के हिसाब से बेचा जाए. इसमें बागवान को कोई आपत्ति नही. है. सेब के प्रत्येक दाने का उचित दाम बागवान को मिले, लेकिन 24 किलो का वजन ही क्यों ? यह एक बड़ा सवाल आज बागवानों के मन में उठ रहा है.
भार तोलने की मशीन की हर बागवान को आवश्यकता रहेगी. जिसकी कीमत मार्केट में 8,000 से 15,000 रुपये तक है. क्या सरकार सभी बागवानों को ये मशीनें उपलब्ध करवाने में सक्षम है ? सरकार इसका भी जवाब दे.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक गणना के अनुसार जिस बागवान के 1,000 पेटी सेब होती है. अब उस बागवान को 24 किलो वजन के कारण लगभग 1,250 से 1,300 तक पेटियां भरनी पड़ेगी. मतलब कि बागवान को 250 से 300 पेटियां अतिरिक्त भरनी पड़ेगी. इससे होगा क्या, इससे बागवान का खर्चा बढ़ेगा, जैसे खाली कार्टन, उसके अंदर लगने वाला ट्रे, सेप्रेटर आदि मैटीरियल, लेबर कॉस्ट, कैरिज, ट्रांसपोर्ट इत्यादि.
ऐसे में इससे बागवान को लाभ के बजाय उल्टा नुकसान हो रहा है. दूसरा बागवान ने 24 किलो पेटी के हिसाब से सेब मंडी तक पहुंचाया भी, तो क्या माप-तोल पर दोनों पक्षों की सहमति बन पाएगी ? नही बन पाएगी वो इसलिए क्योंकि 24 किलोग्राम पेटी पर 22 किलोग्राम का पैसा आज की व्यवस्था के अनुरूप बागवानों को मिल रहा है.
रणधीर शर्मा ने कहा कि आज बागवानों ने कृषि मंत्री के पसीने छुड़वा दिए. उन्होनें कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसी भी कीमत पर बागवानों के सेब के वजन को कम नहीं होने देगी. भाजपा सरकार से मांग करती है कि वो इस विषय के ऊपर निर्णय करें और जहां वजन में कटौती हो रही है उसका समाधान करें.