Dharamshala News: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 और 35ए हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा का नया संचार हुआ है.  जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की योजनाओं का उचित लाभ जनता तक पहुंचा है. 


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पर्यटन क्षेत्र में तेजी के साथ विकास हुआ है. नए उद्योग लगे हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद से 30,000 लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू-कश्मीर में आए इस क्रांतिकारी बदलाव पर शोध कर वास्तविक स्थिति को देश और दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करेगा. 


बता दें, वीरवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर एक में कश्मीर अध्ययन केंद्र की ओर से संवैधानिक अधिमिलन सप्ताह के शुभारंभ पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. इस सप्ताह का आयोजन 26 अक्टूबर से लेकर 31 अकटूबर तक किया जा रहा है. इसमें बतौर मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरके रायजादा  ने शिरकत की. 


इस मौके पर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35ए को लेकर देश में राजनीतिक सक्रियता और तथ्यों पर संवैधानिक चुप्पी के कारण यह पहली वर्षों तक अनसुलझी रही. माननीय न्यायालय में इस विषय पर चर्चा के दौरान राजनीतिक रूप में गढ़े गए झूठे विमर्श धराशायी हो गए. 


जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35ए हटने के बाद से विकास में तेजी आई है. हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कश्मीर अध्ययन केंद्र की ओर से आयोजित संवैधानिक अधिमिलन सप्ताह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए. एडवोकेट आर.के. रायजादा ने जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित कई उलझी हुई पहेलियों को सुलझाया. 


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना ने जम्मू-कश्मीर में 22 अक्टूबर, 1947 को भीषण आक्रमण कर अनेक लोगों की निर्मम हत्या कर दी और वहां जीवित बचे लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया. उन्होंने मेनन रिपोर्ट का सन्दर्भ देकर बताया कि इस सुनियोजित हमले की तैयारी काफी लंबे से चल रही थी और 8 अगस्त, 1947 को ही जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में छोटे-छोटे हमले शुरू कर दिए थे. 


22 अक्टूबर को पाकिस्तान के इस आक्रमण में हजारों लोगों की हत्या कर दी. इसके बाद मानवीय इतिहास के एक बड़े निर्वासन का क्रम शुरू हो गया. वहां से निर्वासित होकर बड़ी संख्या में हिन्दुओं और सिखों को हिमाचल प्रदेश सहित देश के 22 प्रांतों में शरण लेनी पड़ी. कार्यशाला में सात सत्रों में जम्मू-कश्मीर विषय से संबंधित विशेषज्ञ जम्मू-कश्मीर रियासत से संबंधित विषयों पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत करेंगे.