विपन कुमार/धर्मशाला: हिमाचल में बाढ़ और बारिश ने कई लोगों की जान ले ली. प्रदेश में तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. हर तरफ पानी ही पानी. इस बीच शनिवार को भारतीय रेलवे लाइन की ऐतिहासिक धरोहर पठानकोट-कांगड़ा जोगेंद्रनगर रेलवे ट्रैक एक बार फिर से ठप हो गया है. पंजाब और हिमाचल को जोड़ने वाला चक्की पुल बारिश के कारण शनिवार को मूसलाधार बारिश में बह गया है. बता दें, इस पुल में पहले से ही दरार थी. जिसे बारिश अपने साथ बहा ले गई. यह चक्की पुल पंजाब से हिमाचल तक रेलवे ट्रैक को जोड़ने वाला एकमात्र पुल था. 


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ऐसे में अब चक्की नामक स्थान पर बने 94 साल पुराने रेलवे पुल ढह जाने के कारण कांगड़ा के जिलाधीश डॉक्टर निपुण जिंदल ने न्यायिक जांच के आदेश पारित कर दिए हैं. इसके लिए बाकायदा उन्होंने कांगड़ा प्रशासन के एडीएम रोहित राठौर को नियुक्त किया है और उन्हें 15 दिन के अंदर इस मामले की जांच करने के बाद उसकी रिपोर्ट उन्हें सौंपने को कहा है. वहीं सड़क यातायात के लिए भी उसी पुल के ठीक बगल में बने नेशनल हाईवे 154 के लंबे चौड़े पुल में भी आई दरारों के मद्देनजर उन्होंने उस पुल को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है. 


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पुल ढहने के कारण नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के संबंधित अधिकारियों से इसके लिए जवाब मांगा है कि वाहनों की सुरक्षा की लिहाज से ये पुल कितना सुरक्षित है. इस बारे में जानकारी देते हुए जिलाधीश निपुण जिंदल ने कहा कि रेलवे पुल के टूटने के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि ये पुल रेलवे प्रशासन की अनदेखी का शिकार हुआ है क्योंकि वक्त पर इसकी मरम्मत नहीं हो पाई, तो कुछ कह रहे हैं कि अवैध खनन ही एकमात्र वजह है जिसके चलते पुल की चूलें जर्जर हो गई थीं और इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया और आज पुल ढह कर जलमग्न हो गया है. जिलाधीश ने कहा कि सच्चाई चाहे जो भी हो न्यायिक जांच के बाद सामने आ जायेगी और जैसे ही रिपोर्ट आयेगी उसके बाद ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी.


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इस वक्त प्रदेश में भारी बारिश हो रही है. बादल फटने से कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. ऐसे में भारी बारिश के कारण यह पुल ढह गया. यह पुल चक्की नदी पर बना 800 मीटर लंबा रेलवे पुल है. जानकारी के मुताबिक, यह पुल पहले से ही काफी कमजोर था और अचानक आई बाढ़ ने इस कमजोर खंभों का बहा दिया. राहत की बात ये रही कि जिस वक्त ये पुल टूटी उस वक्त पुल पर कोई नहीं था, वरना बड़ा नुकसान हो सकता था. बता दें, 1928 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित और चालू की गई रेल लाइन पर पठानकोट और जोगिन्द्रनदर के बीच हर दिन 7 ट्रेनें चलती थीं. नदी के तल में अवैध खनन के बाद 90 साल पुराना रेलवे पुल कमजोर हो गया था. जिसके लिए कई बार रेलवे अधिकारियों ने शिकायत की थी. 


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