Hamirpur News: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नादौन विधानसभा क्षेत्र की पंचायत पुतड़ियाल में ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम की मंगलवार को अध्यक्षता की.  इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों के साथ सीधा संवाद करने के अलावा अधिकारियों को जन समस्याओं का निपटारा समयबद्ध करने के निर्देश दिए.


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कार्यक्रम में विधायक, ज़िला उपायुक्त अमरजीत सिंह, एसपी भगत सिंह ठाकुर सहित सभी विभागों के आला अधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों के द्वारा आम जनता को जागरूक करने के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी से सम्बंधित स्टॉल भी लगाए गए थे. वहीं, मुख्यमंत्री का आयोजन स्थल पर पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. आयोजन स्थल पर भी उन्हें कार्यकर्ताओं ने फूल मालाएं पहनाई. 


इस दौरान सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है. शिक्षा की गुणवत्ता सही नहीं है तथा पांचवी कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के छात्र की किताब नहीं पढ़ पा रहा. शिक्षा विभाग के साथ की गई मीटिंग में गुणात्मक एजुकेशन उपलब्ध करवाने की योजना पर काम करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि जब उनसे पूछा गया कि स्कूलों में शिक्षित अध्यापक तैनात है तो फिर शिक्षा की स्थिति ठीक क्यों नहीं है. तब पता चला की गुणात्मक शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा.


सीएम ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने अनावश्यक तौर पर 900 संस्थान खोल दिए जहां पर ना तो स्टाफ उपलब्ध हो पाया और ना ही वहां पर छात्र थे. गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से ही ऐसे संस्थानों को मौजूदा सरकार ने बंद किया है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि नादौन मेरी कर्मभूमि है. 20 सालों से कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में कार्य कर रहा हूं. नादौन के लोगों ने ही मुझे विधायक चुनकर भेजा तथा पार्टी हाई कमान ने मुझे प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी सौंपी. जब मैने अधिकारियों के साथ मीटिंग की तब पता चला कि सरकार का खजाना खाली हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले जीतने के लिए 5000 करोड़ की रेवड़ियां बांट डाली थी. 


पूर्व भाजपा सरकार ने कहा था कि छठ पे कमीशन देंगे. पे कमीशन तो दे दिया लेकिन एरिया का 10,000 करोड़ रुपया नहीं दिया गया. जब कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभाली तो प्रदेश पर 85000 करोड़ का कर्ज चढ़ा हुआ था. मुख्यमंत्री बनने के बाद जब अधिकारियों से पूछा गया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक क्यों नहीं है तब पता चला कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने पानी तथा बिजली को फ्री कर दिया और बसों में भी महिलाओं को 50% की छूट दे दी. उन्होंने कहा कि उन बड़े होटल मालिकों का भी पानी बिजली फ्री कर दिया जो की लाखों करोड़ों रुपए का इनकम टैक्स देते हैं.


उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण क्षेत्र का व्यक्ति जो गरीब है. वह गरीब होता जा रहा है यह क्या कारण है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आर्थिक की मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है. इसी दिशा में फैसला लिया गया है कि 30 रुपये किलोग्राम के हिसाब से मक्की किसानों से सरकार खरीदेगी. 40 रुपये किलोग्राम गेहूं की खरीद सरकार की तरफ से की जाएगी. उस गेहूं की खरीद सरकार करेगी जो कि ग्रामीण क्षेत्र में ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के माध्यम से दी जाने वाली दिहाड़ी को भी 240 रुपए से बढ़कर 300 रुपये कर दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं मनरेगा में काम कर रही हैं. ऐसे में उनकी आर्थिक को भी सुदृढ़ करने का काम किया गया है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गांव के द्वार योजना को दोबारा से शुरू कर दिया गया है. मंत्रियों और विधायकों की एक टीम को बजट की फीडबैक तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप गई है ताकि लोगों को किन चीजों की जरूरत है उन सब बातों को ध्यान में रखकर बजट में योजनाएं तैयार की जा सके.


मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र से 23000 करोड़ रुपए एक लेनी है और 9000 कर्मचारियों के एनपीएस और सरकार के अंशदान के जो पैसे पड़े हैं वह भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि 4500 करोड़ रुपए बीबीएमबी का मिलना है. अगर केंद्र सरकार हिमाचल की पूरी तरह से मदद करें तो प्रदेश को और तेजी से आगे ले जाया जा सकता है लेकिन सब कुछ राजनीति तौर पर किया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपनी आधी गारंटी पूरी कर दी है और अब सरकार इसके अलावा भी विकास की के योजनाओं पर तेजी से कम कर रही है. सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में लगी हुई है ताकि आत्मनिर्भर हिमाचल बनाया जा सके. 


रिपोर्ट- अरविंदर सिंह, हमीरपुर