Shimla News: हिमाचल प्रदेश में कूड़े और बढ़ते प्लास्टिक वेस्ट की समस्या गंभीर होती जा रही है. जिसपर अब हिमाचल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. पर्यावरण पर प्लास्टिक कचरे के दुष्प्रभावों को देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को स्पेशल टास्क फोर्स गठित करने का आदेश जारी किया है.


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हिमाचल प्रदेश में पर्यटक स्थलों व ट्रैकिंग रूट्स पर भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा बिखरा हुआ नजर आता है. ऐसे में हिमाचल हाईकोर्ट ने प्लास्टिक कचरे के कारण पर्यावरण पर पड़ रहे असर को देखते हुए हिमाचल सरकार को एक स्पेशल टास्क फोर्स गठित करने का आदेश जारी किया है. ये फोर्स पहली अगस्त तक गठित करनी होगी. 


अदालत ने आदेश दिया है कि इस फोर्स में नगर परिषदों, नगर निगमों और नगर पंचायतों के सदस्यों सहित जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सचिव, पर्यटन विकास निगम, वन विभाग, गैर सरकारी संगठन और अन्य हितधारक संस्थाओं आदि के सदस्यों को शामिल किया जाए. 


ये टास्क फोर्स पहाड़ियों के किनारे फैली गंदगी खास तौर पर प्लास्टिक कचरे की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने हर जिले के विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों को मामले में अदालत की तरफ से जारी आदेश के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए कोऑर्डिनेटर बनाया है. 


इन सभी को कहा गया है कि वे विशेष तौर पर स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए दिए हाईकोर्ट के आदेशों के तहत प्लास्टिक कचरे के हॉट-स्पॉट और जलधाराओं की साफ सफाई सहित और ठोस प्रबंधन कानूनों के तहत हितधारकों की भूमिकाओं से जुड़ी निगरानी रिपोर्ट तैयार करेंगे. ये रिपोर्ट हर तीन महीने में हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश भी जारी किए.


ट्रैकिंग रूट्स के आसपास बनाएं चेक पॉइंट 
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो पर्यटकों द्वारा ट्रैकिंग रूट्स से ले जाए जाने वाले प्लास्टिक के कचरे आदि का आकलन करने के लिए चेक पॉइंट्स स्थापित करें. इसके जरिए ट्रैकिंग रूट्स के साथ सरकार टिकाऊ इको-सिस्टम डेवलप करने पर भी विचार करें. खंडपीठ ने सुझाव के तौर पर राज्य सरकार को सबसे पहले कुछ प्राथमिकता वाले ट्रैकिंग रूट की सफाई पर विचार करने को कहा. 


हाईकोर्ट ने खीरगंगा, हामटा, बिजली महादेव, साच पास, ब्यास कुंड, श्रीखंड महादेव, मणिमहेश यात्रा मार्ग, चूड़धार, त्रियुंड और चांशल पीक के नाम सुझाए हैं.अदालत ने पाया कि हिमाचल में प्लास्टिक की पुन: खरीद नीति वास्तव में गैर-कार्यात्मक रही है. कोर्ट ने सरकार को प्लास्टिक बायबैक नीति को सप्ताह के सातों दिन पूरी तरह कार्यात्मक बनाने के आदेश दिए. ऐसा करने से नागरिकों, विशेषकर कूड़ा उठाने वालों को सड़कों, जंगलों और नालों आदि में पड़े प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. इससे कूड़ा बीनने वालों की आजीविका का स्रोत भी मजबूत होगा और पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलेगी.


हिमाचल में बढ़ रहा प्लास्टिक वेस्ट को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निगमों के कूड़े-कचरे से जुड़े शिकायत को और कारगर बनाने की सख्त जरूरत है. इसके लिए हाईकोर्ट ने राज्य के सभी नगर निगमों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर शिकायतों का समाधान होने तक शिकायतों को प्रदर्शित करते रहें. एमसी शिमला को शिकायत नंबर +91 98052 01916 का व्यापक रूप से प्रचार करने को कहा गया है. इसी तरह अन्य नगर निगमों को सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक शिकायत तंत्र नंबर जारी करने का निर्देश दिया गया है. 


ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक पर कोर्ट सख्त
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक की तरफ से इस विषय में वांछित रुचि न दिखाने पर इसे एक गंभीर मामला बताया. ग्रामीण विकास निदेशक को इस मामले में गहरी दिलचस्पी लेने और अब से सभी बैठकों में प्रभावी ढंग से भाग लेकर अपने बहुमूल्य इनपुट देने का निर्देश भी दिया गया है. 


वहीं, हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना पर कूड़ा प्रबंधन एजेंसी ईपीआर प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड प्लॉट नंबर 19, न्यू कॉटन, कारकेट लेआउट, गणेशपेठ, नागपुर, सर्वश्री दि शक्ति प्लास्टिक इंडस्ट्रीज, 202/203/204/205, दूसरी मंजिल बिजनेस क्लासिक चिंचोली बंदर रोड, मलाड, मुंबई और सर्वश्री रेकर इनोवेशन लिमिटेड कॉर्पोरेट ऑफिस 2007, सेक्टर-45, गुरुग्राम, को अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत नोटिस जारी करने के आदेश भी दिए गए हैं.


रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला