विजय भारद्वाज/बिलासपुर: 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद भारत वर्ष में सबसे अंत में शामिल होने वाला कहलूर रियासत को सन् 1948 से 1954 तक केंद्र शासित राज्य का दर्जा मिला था, जिसके बाद सन् 1954 में ही इसे हिमाचल प्रदेश में जिले के रूप में शामिल किया गया. इसके बाद देश को रौशनी देने के मकसद से बनाए गए भाखड़ा बांध निर्माण के बाद बिलासपुर शहर 9 अगस्त 1961 को जलमग्न हो गया था, जिसमें केवल एक शहर ही नहीं, एक पूरी समृद्ध गौरवमयी संस्कृति ही जलमग्न हो गई थी. 


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कहलूर रियासत के राजाओं के महलों के साथ-साथ शिखर शैली के 99 ऐतिहासिक मंदिरों ने भी इस दौरान जल समाधि ली थी. वहीं लोगों के घरबार, स्कूल, कॉलेज, दर्जनों बाग-बगीचे सब कुछ सतलुज नदी के बदलते स्वरूप गोविंदसागर झील में डूबता चला गया और अपनी यादें छोड़ता चला गया था. सन् 1963 में भाखड़ा बांध निर्माण के बाद अस्तित्व में आई इस गोविंदसागर झील में बिलासपुर शहर के साथ 256 गांव पानी में समा गए थे, जिसमें 40 हजार हैक्टेयर जमीन पानी में समा गई और करीब 11 हजार की आबादी को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था. 


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62 वर्ष बाद भी नहीं हो पाया भाखड़ा विस्थापितों का पुनर्वास
आज करीब 62 वर्ष बाद भी प्रदेश की विभिन्न सरकारों से आज तक लगभग 350 भाखड़ा विस्थापितों का पुनर्वास तक नहीं हो पाया है. विस्थापन के बदले में लोगों को नए बिलासपुर शहर में बसाया गया, जहां विस्थापित परिवारों को छोटे-छोटे प्लॉट आवंटित किए गए. वहीं भाखड़ा विस्थापित परिवारों के सदस्यों ने केंद्र व प्रदेश सरकार से विस्थापित परिवारों को सही तरीके बसाने की अपील करते हुए कुछ नए सेक्टर्स का निर्माण करने व विशेष पैकेज दिए जाने की मांग की है. 


बिलासपुर की जनता ने झेला भाखड़ा विस्थापन का दंश 
वहीं, सर्वदलीय भाखड़ा विस्थापित समिति के प्रधान अजय उपाध्याय का कहना है कि देश को रौशन करने के लिए बिलासपुर की जनता ने अपने आशियाने छोड़कर भाखड़ा विस्थापन का दंश झेला है जो कि देश के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया है, लेकिन इसकी एवज में विस्थापितों को सही हक नहीं मिल पाया है, जिसके चलते बिलासपुर शहर के 364 विस्थापितों में से कुछ को ही जमीन के पटों के कागज मिल पाए हैं. उन्होंने बिलासपुर से संबंध रखने वाले बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि विस्थापित परिवारों को जल्द ही विशेष पैकेज दिया जाए और सेक्टर्स का निर्माण कर उनका सही बसाव किया जाए. 


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999 वर्षों की लीज पर है नया बिलासपुर शहर 
वहीं, इस मामले में नगर परिषद बिलासपुर अध्यक्ष कमलेंद्र कश्यप का कहना है कि बीबीएमबी ने भाखड़ा बांध निर्माण के बाद बिजली उत्पादन से काफी आमदनी की है. इसकी रॉयल्टी का कुछ हिस्सा भाखड़ा विस्थापितों के परिवारों पर खर्च कर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना चाहिए ताकि उनका सही से बसाव हो सके. बता दें, नया बिलासपुर शहर 999 वर्षों की लीज पर है, जिसकी लीज के 62 साल ही अभी पूरे हुए हैं.


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