Water Cess in Himachal Pradesh: उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए पावर प्रोजेक्टों से वाटर सेस वसूला जाएगा. ऐसे में वाटर सेस का क्या प्रारूप होगा, यानि कौन-सा विभाग इसे वसूल करेगा, इस पर सीएम और अधिकारियों के बीच चर्चा चल रही है. 


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बता दें, जल शक्ति विभाग के अधिकारियों की सरकार के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. वाटर सेस के लिए आयोग भी बनाया जाना है. ऐसे में उसका क्या काम होगा और उसमें कौन-कौन लोग होंगे. इस पर भी चर्चा जारी है. प्रदेश में पहली बार बिजली परियोजना पर वाटर सेस वसूला जा रहा है, जिसका टैरिफ भी तय कर दिया गया है.  


इस टैरिफ के अनुसार, पानी को कहां पर ऊपर की ओर उठाया जा रहा है, उसे आधार बनाकर सरकार पैसा वसूल करेगी.  इसमें अगर 30 मीटर तक पानी उठाया गया है, तो 0.10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से पैसा लिया जाएगा. वहीं,  30 से 60 मीटर की ऊंचाई पर के लिए 0.25 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर की दर तय की गई है. इसके अलावा 60 से 90 मीटर तक के लिए 0.35 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर और 90 से ऊपर 0.50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर की दर से सेस वसूला जाएगा. जो सरकार की आय का मुख्य जरिया बनेगा. 


मीडिया रिपोर्टस के अनुसार,  जल शक्ति विभाग सचिव अमिताभ अवस्थी ने वाटर सेस का टैरिफ जारी किया है. इसमें ऊर्जा निदेशालय ने विभाग की मदद की है.  दोनों विभाग के अधिकारी इस संबंध में बैठक करके आगे की योजना पर काम कर रहे हैं. 


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वहीं, सेस वसूली के लिए उत्तराखंड के मॉडल को स्टडी किया जा रहा है. बता दें, उत्तराखंड में भी वहां की सरकार ने वाटर सेस लगा रखा है, जिससे सरकार आय जुटा रही है. वहीं,  हिमाचल में इस तरह का सेस लगाने से सरकार को लाभ मिलेगा.  हालांकि, इसके साथ ही मौजूदा समय में लगे प्रोजेक्टों पर शर्त लागू करना सरकार के लिए आसान काम नहीं होगा क्योंकि कंपनियां इसका विरोध कर सकती हैं.