समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को डीए की किश्त के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. बुधवार को सचिवालय कर्मचारी संगठन के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के शफ्त समारोह के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो महीने के बाद डीए किश्त देने की बात कही.


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हालांकि कर्मचारी नेताओं ने मंच से डीए का भुगतान करने की गुहार लगाई, लेकिन सीएम सुक्खू आर्थिक बदहाली का हवाला देते नजर आए और पूर्व की भाजपा सरकार पर प्रदेश को कर्ज के बोझ तले दबाने के साथ ही दस हजार करोड़ की वित्तीय देनदारियां छोड़ने के आरोप लगाते दिखाई दिए. इस समय कर्मचारियों व पेंशनर्स का 12 फीसदी डीए बकाया है. अगर सरकार चार फीसदी डीए जारी करती है तो इस पर राज्य सरकार को करीब सवा चार सौ करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.


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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कर्मचारियों की डीए की मांग उचित है. कर्मचारियों का डीए 12 प्रतिशत हो चुका है. पिछली सरकार ने कर्मचारियों की देनदारियां हम पर थोप दी हैं. पूर्व की सरकार ने कई घोटाले किए. पूर्व सरकार के कार्यकाल में भर्ती घोटाला, चयन आयोग, पुलिस भर्ती घोटाला किया गया. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने पांच साल आंख मूंदकर काम किया, लेकिन सत्ता संभलते ही कांग्रेस सरकार ने चयन आयोग को भंग कर दिया और जो रिजल्ट काफी समय से लटका था उसे निकाला गया. साथ ही नया राज्य चयन आयोग बनाया गया. 


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सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने पुलिस में 1200 जवानों की भर्ती, वन विभाग में 2061 भर्ती, पंप ऑपरेटर स्टाफ में 4500 भर्तियां कीं. यही नहीं मुख्यमंत्री ने पूर्व सरकार के घोटालों पर जांच करने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी हिमाचल प्रदेश की रीड हैं और कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना भी सरकार का कर्तव्य है. सीएम ने कहा कि कर्मचारियों की ओर से डीए की किस्त देने के अलावा फाइव डे वर्किंग की जो मांग की गई है इस पर भी विचार किया जाएगा.


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