विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में मौसम के बदले मिजाज ने सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. काफी समय से बारिश ना होने की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई हैं, वहीं अगर बात की जाए बिलासपुर जिला की तो यहां सूखे के चलते इस बार गेंहू की फसल बीजने वाले किसानों के हाथ केवल मायूसी ही लग रही है. 


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कृषि विभाग बिलासपुर के उपनिदेशक शशिपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर जिला में करीब 25 हजार हेक्टेयर जमीन पर गेंहू की फसल बीजी गई थी, जबकि दो हजार हेक्टेयर जमीन पर फल, सब्जी, सरसों सहित अन्य फसल लगाई गई थीं. बिलासपुर का कृषि आधारित ज्यादातर क्षेत्र सिंचाई के लिए बारिश और प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर है. ऐसे में बीते तीन महीने से बारिश ना होने और सूखे की स्थिति के चलते गेंहू की फसल काफी प्रभावित हुई है. यहां अभी तक लगभग 20 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है. 


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शशिपाल शर्मा ने कहा कि बिलासपुर जिला में लगातार सूखे की मार देखने को मिल रही है. अब तक 17 हजार हेक्टेयर जमीन पर गेंहू की फसल बारिश ना होने के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे नुकसान का आंकलन साढ़े नौ करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में अगर बारिश नहीं होती है तो इससे किसानों की फसल और अधिक बर्बाद हो जाएगी, जिससे नुकसान का आंकड़ा अधिक बढ़ जाएगा. जिला में खाद्यान उत्पादन के क्षेत्र पर बुरा असर देखने को मिलेगा. 


वहीं स्थानीय किसान सुभाष चंद सोनी ने कहा कि किसानों की फसल बारिश पर निर्भर रहती है. इसके अलावा सिचाईं का अन्य कोई साधन नहीं है. उन्होंने कहा कि गेंहू की बिजाई के समय तो बारिश हुई थी, लेकिन उसके बाद से बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई, जिससे उनकी फसल बर्बाद हो गई है. आने वाले समय में हालात ऐसे ही रहे और बारिश नहीं हुई तो उनकी सारी फसल बर्बाद हो जाएगी व उन्हे काफी नुकसान उठाना पड़ेगा.


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बता दें, पीला रतुआ रोग गेहूं के सबसे खतरनाक और विनाशकारक रोगों में से एक रोग है. इसे धारीदार रतुआ भी कहा जाता है जो पक्सीनिया स्ट्राईफारमिस नामक कवक से होता है. पीला रतुआ फसल की उपज को काफी नुकसान पहुंचाता है. इस बीमारी से गेहूं की फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित होती है.


फसल सत्र के दौरान उच्च आर्द्रता और कम बारिश के कारण पीला रतुआ के संक्रमण के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करती हैं. वहीं पौधों के विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं में इस रोग के संक्रमण से अधिक हानि होती है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में भी बीते कुछ महीनों से बारिश ना होने के चलते किसानों की गेंहू की फसल पीले रतूये की चपेट में आ रही है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.


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