विपन कुमार/धर्मशाला: वन विभाग का लैंटाना उन्मूलन अभियान (Lantana eradication campaign) लगातार जारी है. हालांकि विभाग (HP Forest department) द्वारा इसे खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी विभाग को सफलता नहीं मिल पाई है, क्योंकि कहीं न कहीं फंड की कमी आड़े आ रही है. इसके लिए एक बड़ी रकम की की जरूरत होगी. अच्छी बात यह है कि विभाग ने जहां भी लैंटाना हटाया है वहां जंगलों में आग लगने की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जाता कि सर्दियों में लैंटाना (Lantana Plant) सूख जाता है तो उस एरिया में आग लगने पर काबू पाना आसान नहीं होता है.


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2009 में शुरू हुआ था अभियान 
अगर बात की जाए फॉरेस्ट सर्कल धर्मशाला की तो सर्कल के अंतर्गत 1.34 लाख हेक्टेयर वन भूमि आती है, जिसमें से 1 लाख हेक्टेयर भूमि लैंटाना प्रभावित क्षेत्र की है, जबकि इसमें से विभाग ने 16 हजार हेक्टेयर से लैंटाना हटाने में सफलता हासिल की है. विभाग ने फॉरेस्ट सर्कल के अंतर्गत वर्ष 2009 से यह अभियान शुरू किया था जो अभी भी जारी है.


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लैंटाना को दबाने में सहायक होता है बांस 
जहां भी लैंटाना की समस्या अधिक थी वहां इससे निपटने के लिए वन विभाग की ओर से चौड़ी पत्तियों वाले पौधे लगाए गए. लैंटाना को खत्म करने के लिए ऊंचे और पुष्ट पौधे लगाने का प्रावधान किया गया है, जिससे पेड़ों का अवरण जल्दी से स्थापित हो और लैंटाना को फिर से उगने की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सके. लैंटाना को बढने से रोकने के लिए बांस प्रजाति को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि बांस लैंटाना को दबाने में विशेष तौर पर सहायक सिद्ध होता है. फॉरेस्ट सर्कल धर्मशाला के अंतर्गत 1 लाख हेक्टेयर लैंटाना प्रभावित क्षेत्र में से 16 हजार से अधिक लैंटाना हटाए गए हैं.


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क्या हैं लैंटाना पौधे के नुकसान? 
बता दें, लैंटाना एक जहरील पौधा है, जिस पर काफी सुंदर फूल आते हैं. यह पौधा शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए जानलेवा होता है. इसका सेवन करने से कई हिरणों की मौत हो चुकी है. यह पौधा जहां भी उगता है उस जगह को बंजर बना देता है, और तो और जहां भी यह पौधा उग जाता है वहां कोई दूसरा पौधा नहीं पनप सकता है. 


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