Himachal Weather Update: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में सर्दियों के मौसम में होने वाली बारिश व बर्फबारी में 15% कमी दर्ज की गई है. ऐसे में इसका असर प्रदेश के वातावरण पर पड़ने के साथ साथ कृषि, बागवानी, जल स्त्रोत, तापमान पर भी पड़ेगा. 


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हर साल सर्दियों में अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर और जनवरी महीने में होने वाली अच्छी बर्फबारी से ऊंचे पहाड़ों पर स्थित ग्लेशियर सुरक्षित होतें है और इनसे निकालने वाली नदियों को भी मज़बूती मिलती हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के वैज्ञानिकों ने ख़ासकर सर्दियों के मौसम में हो रहे बदलाव पर गहरी चिंता जताई है. 


इन दिनों सर्दियों का मौसम है ऐसे में हिमाचल प्रदेश में फिलहाल साफ मौसम चल रहा है. अक्टूबर से जनवरी के मौजूदा दिनों में फिलहाल हल्की बारिश या बर्फबारी देखने को मिली है, जो हिमाचल प्रदेश के लिहाज से काफी नहीं है. अगर मौसम का यही रूख रहा तो गर्मियों में प्रदेश के कई इलाकों में पानी की किल्लत की समस्या गहरा सकती है. इतना ही नहीं पहाड़ों का असर अन्य राज्यों पर भी पड़ सकता है. 


वहीं, मौसम के बदले मिजाज ने हिमाचल के किसानों-बागवानों की चिंता बढ़ा दी है. बारिश और बर्फबारी ना होने के कारण सेब बागवान परेशान हैं. सेब बगवानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बर्फबारी नहीं होने से सेब के बगीचों में नमी पूरी तरह से गायब हो गई. सेब के साथ-साथ  नाशपाती, बादाम, मटर व टमाटर सहित कई फल और सब्जियों पर इसका खराब असर पड़ सकता है. किसानों ने इसपर चिंता जताते हुए कहा कि सही फसल के लिए आवश्यक चिलिंग की जरूरत होती है. जो अभी नहीं मिल रही है. 


हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के प्रिन्सिपल साइयंटिफ़िक ऑफिसर डॉक्टर S.S. रंधावा ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत में जानकारी दी की पिछले तीन वर्षों में सर्दियों में होने वाली बारिश-बर्फबारी के कमी के साथ-साथ यह फरवरी-मार्च के माह में मौसम शिफ्ट हुआ है. जिस तरह से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. यह गहरी चिंता का विषय है. इस बदलाव का सीधा असर कृषि, बाग़वानी, जल स्त्रोत, तापमान पर पड़ेगा. 


रिपोर्ट- संदीप सिंह, शिमला