समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इस साल हुई बरसात के दौरान कई वर्षों के बाद ऐसे हालात देखे गए जब शहर में कई घर मलबे में तब्दील हो गए. जगह-जगह से लैंडस्लाइड और पेड़ गिरने की घटनाएं सामने आईं. इस सब के पीछे सबसे बड़ा जो फेलियर बताया गया वह ड्रेनेज सिस्टम था. शिमला में प्रॉपर ट्रेन सिस्टम न होने के कारण राजधानी को यह खामियाजा भुगतना पड़ा. 


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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जमीन धंसने के खतरे को भांपते हुए शहर में ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद तेज हो गई है. बारिश के बाद अब नगर निगम ने शिमला शहर को आपदा में सुरक्षित रखने के लिए कार्य शुरू कर दिया है. नगर निगम शिमला शहर में ड्रेनेज सिस्टम तैयार करने वाला है. इसके लिए निगम ने एसजेपीएनएल को यह कार्य सौंप दिया है. फिलहाल प्रथम चरण में नगर निगम खुद पूरे शहर का आंकलन करने वाला है. इसका आंकलन करने के बाद इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी जानी है. रिपोर्ट सौंपने के बाद एसजेपीएनएल को यह कार्य सौंपा जाएगा. 


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शिमला शहर में सभी भवनों की सूची के साथ उन घरों के नक्शों की जांच भी की जाएगी. नक्शे से साफ हो जाएगा कि किस क्षेत्र में कौन सी विधि द्वारा यानी किस तरह से छतों के पानी को बाहर निकाला जा सकता है. इसके लिए एसजेपीएनएल को भी सर्वे करने में काफी आसानी होगी. इसके लिए एपी ब्रांच प्रथम चरण का कार्य करेगी. संयुक्त आयुक्त इसकी जांच करेंगे. इससे यह भी साफ हो जाएगा कि शहर में नक्शों के हिसाब से क्या बदलाव किए जा सकते हैं. इसके साथ-साथ एजेंसी भी नक्शे के हिसाब से ही ड्रेनेज सिस्टम का कार्य करेगी.


शिमला में सभी घरों की छतों के पानी के लिए अलग नालियों का निर्माण करने का प्रस्ताव निगम के हाऊस में रखा गया है. निगम के अधिकारियों का कहना है कि सीवरेज के साथ छतों के पानी को नहीं जोड़ा जा सकता है. छतों के पानी के लिए अलग नालियों का निर्माण करना अनिवार्य है. छतों के पानी को कहीं स्टोर कर इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है. सीवरेज के पानी को शहर से बहार करने के लिए पहले ही लाईन तैयार की गई है, लेकिन अब छत्तों के पानी के लिए भी निगम और एसजेपीएनएल विशेष कार्य करने वाला है.


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पर्यावरण मुख्य अधिकारी सुरेश अत्री ने बताया कि शिमला का ड्रेनेज सिस्टम इसलिए चरमराया है क्योंकि तापमान में वृद्धि एक कारण है. मानवीय गतिविधियां इसका एक कारण है. ड्रेनेज सिस्टम में जलवायु परिवर्तन को मद्देनजर रखते हुए निर्माण कार्य किए जाने चाहिए. भविष्य में रेनी बरसात के दिन कम होंगे और बारिश की तीव्रता ज्यादा होगी, इसलिए शिमला में मकान निर्माण पर्यावरण को मद्देनजर रखते हुए करें. बरसात के पानी को छत से स्टोर किया जाए और उस पानी को सिस्टम से तैयार कर इस्तेमाल में लाएं. ये सुनिश्चित करें कि मकान पर प्रॉपर नालियां बनाई जाएं.


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