संदीप सिंह/शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सियासी और राजनीतिक उठापटक जारी है. सुक्खू सरकार और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने बागी विधायक अब भाजपा की परेशानी बन गए हैं. लगभग एक महीने से नाराज बागी विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल होने से अब कांग्रेस इनसे पूरी तरह चिंतामुक्‍त हो गई है, लेकिन इनकी ज्वाइनिंग के महज कुछ घंटों बाद ही भाजपा की टेंशन बढ़ने लगी है. 


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इसकी शुरुआत चिंतपूर्णी विधानसभा से पूर्व विधायक राकेश कालिया ने इस्‍तीफा देकर कर दी है, वहीं रमेश चंद ध्‍वाला भी अपने आक्रमक मूड में नजर आ रहे हैं. कुटलैहड़ में भाजपा के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर पहले ही विधानसभा में पदयात्रा शुरू कर चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं. हालात धर्मशाला, नालागढ़, लाहौल स्पीति में भी सामान्‍य नहीं है. 


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सुधीर शर्मा की धर्मशाला में भाजपा में एंट्री से पूर्व प्रत्‍याशी राकेश चौधरी व विशाल नैहरिया भी अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत करने में जुड़ गए हैं. यह सारी स्थिति भाजपा के लिए चिंताजनक है, वहीं भाजपा के पूर्व सीएम व वरिष्‍ठ नेता शांता कुमार ने भी भाजपा के इन हालात पर सार्वजनिक टिप्‍पणी कर भाजपा को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.


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छह आयोग्य और तीन निर्दलीय विधायकों के इस्‍तीफा देने के बाद अब विधानसभा की दलीय स्थिति देखें तो 34 कांग्रेस, 25 भाजपा और 9 विधायकों के पद खाली पड़े हैं. इस समय हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में कुल 59 विधायक हैं, जिसके हिसाब से कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत मौजूद है. राज्‍य सभा की वोटिंग के दौरान 34 तक पहुंचने वाली भाजपा फ‍िर 25 पर सिमटी हुई है. अगर गणित की भाषा में कहें तो कांग्रेस ने कोई विकेट नहीं गवाई है, बल्कि भाजपा की ओर से 9 लोग हिट विकेट चुके हैं. अगर 9 सीटों पर विधानसभा चुनाव जीत जाए तो 34-34 होगी. ऐसी स्थिति में एक विधायक को दोनों दलों को तोड़ना होगा. तब जाकर सरकार बनेगी.


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