संदीप सिंह/मनाली: हिमाचल प्रदेश में मानसून फिर से सक्रिय हो गया है. राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में बादल फटने और लगातार हो रही भारी बारिश के कारण आई बाढ़, भूस्खलन और इमारत ढहने की घटनाएं लगातार हो रही हैं. आपदा की स्थिति में 14वीं वाहिनी एनडीआरएफ की टीमें दिन-रात हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्थान पर राहत एवं बचाव कार्य कर रही हैं.


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पोंग डैम से लगातार छोड़ा जा रहा पानी  
पिछले 3 दिनों से हो रही लगातार बारिश और बादल फटने की घटनाओं के कारण आई बाढ़, भूस्खलन, इमारत ढह रही हैं और ब्यास नदी का जलस्तर भी बहुत बढ़ गया है, जिसकी वजह से पोंग डैम का पानी खतरे के निशान पर पहुंच गया है. पोंग डैम से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बन गया है. लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ की 6 टीमें कांगड़ा जिले के विभिन्न स्थानों पर दिन-रात राहत एवं बचाव कार्य कर रही हैं. 


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राहत बचाव कार्य में कई टीमें तैनात
जिला कांगड़ा में 6 टीमें, जिनमें से 3 टीमें इंदौरा, 1 टीम ज्वालामुखी और 2 टीमें फतेहपुर में जिला शिमला में समर हिल में 2 टीम सिरमौर जिला के काला कालाअम्ब में 1 और जिला मंडी के धर्मपुर में 1 टीम राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई है. एनडीआरएफ द्वारा अभी तक ज्वालामुखी क्षेत्र से 67 लोगों को इंदौरा से 138 लोगों को एवं फतेहपुर से 7 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है और वाहिनी की 2 अन्य टीमों द्वारा समर हिल शिमला से भूस्खलन रेस्क्यू ऑपस के दौरान अभी तक 4 मृत देह को मलबे से बाहर निकाला गया है. 


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बता दें, आज पोंग बांध की महाराणा प्रताप झील का जलस्तर 1398.70 हो पहुंच गया. झील में पानी की आमद करीब 60 हजार क्योसिक दर्ज की गई. पोंग डैम से 1 लाख 48 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. वहीं, ब्यास नदी के किनारे बसे गांवों में पानी ने खूब तबाही मचाई हुई है.

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