Himachal News: हिमाचल प्रदेश में अनधिकृत मस्जिदों को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद राज्य में काम कर रहे बाहरी लोगों की उपयुक्त पहचान एवं सत्यापन की मांग के बीच इस संगठन ने ऐसा दावा किया है. पुलिस ने कहा कि इस मामले में अभी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है. एक पुलिस अधिकारी ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अशिक्षित हैं और उनके पास जन्म प्रमाण पत्र या 10वीं कक्षा का प्रमाण पत्र नहीं है, जो उनकी जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में काम आता है.


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उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए ऐसे मामलों में जन्मतिथि एक जनवरी लिखी गयी है. अधिकारी ने कहा, हमने बिना बारी के कुछ आधार कार्ड की जांच की और उनमें यह सही पाया गया (विसंगति पायी गयी।). गुरुवार को पुलिस में दर्ज करायी गयी शिकायत में गुम्मा व्यापार मंडल के अध्यक्ष देव चौहान ने आरोप लगाया कि गुम्मा बाजार एवं उसके आसपास काम कर रहे 86 प्रवासियों में से 46 के आधार कार्ड में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी है. 


गुम्मा बाजार हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर है. चौहान ने कहा कि इनमें से ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदायों से हैं. उन्होंने कहा, बूढ़े लोगों को अपनी जन्मतिथि याद नहीं होती है और संभवतः उनमें एक सी जन्मतिथि हो सकती है लेकिन 2000-2009 के बीच पैदा हुए लोगों के आधार कार्ड में भी उनका जन्मदिन समान है, जो पेचीदा विषय है.


उन्होंने बाहरी लोगों के उचित सत्यापन की मांग की. शुक्रवार को शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा, पुलिस समय-समय पर प्रवासी श्रमिकों के आपराधिक इतिहास और किराया करार की जांच करती रहती है. पुलिस अधीक्षक ने एक सख्त तंत्र पर जोर दिया, जिसके तहत नौकरी और आवास उपलब्ध कराने वाले नियोक्ताओं और मकान मालिकों को अनिवार्य रूप से अधिकारियों से प्रवासियों के पहचान प्रमाणों का सत्यापन कराना होगा.


रिपोर्ट- राजकुमार नरेश, भाषा