AN 12 aircraft Crashed:  भारतीय सेना के एक अभियान ने हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में 1968 में दुर्घटनाग्रस्त हुए AN-12 विमान के मलबे से चार सैनिकों के अवशेष बरामद किए हैं. यह विमान भारतीय वायु सेना का था और इसमें 102 सेना के जवान सवार थे। यह विमान चंडीगढ़ से लेह की नियमित उड़ान पर था, जब यह दुर्घटना का शिकार हुआ.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लाहौल-स्पीति जिले के पुलिस अधीक्षक मयंक चौधरी ने सोमवार शाम को पुष्टि की कि इस खोज की जानकारी सैटेलाइट फोन के माध्यम से सेना के अभियान दल से प्राप्त हुई। यह दल लाहौल-स्पीति के दूरस्थ और कठिन क्षेत्र सीबी-13 (चंद्रभागा-13 चोटी) के पास बाटल में पर्वतारोहण अभियान चला रहा था. चौधरी ने कहा, "सैटेलाइट संचार के जरिए मिली जानकारी के अनुसार, चार शव मिले हैं। प्रारंभिक जांच के आधार पर यह माना जा रहा है कि ये अवशेष 1968 के भारतीय वायु सेना के AN-12 विमान दुर्घटना से जुड़े हो सकते हैं."


ये भी पढ़े: Kangana Ranaut: 'इमरजेंसी' फिल्म में कुछ सीन कट्स के लिए तैयार हुई कंगना रनौत, मूवी की रिलीज का रास्ता हुआ साफ
 


यह खोज एक लंबे और कठिन प्रयास का हिस्सा है, जिसमें 1968 की उस दुर्घटना में मारे गए लोगों के अवशेषों को बरामद करने की कोशिश की जा रही है. यह दुर्घटना भारतीय सैन्य विमानन इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है. खराब मौसम के कारण विमान लाहौल घाटी के पहाड़ी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। वर्षों के कई खोज अभियानों के बावजूद, इस दुर्घटना के कई शव और मलबा बर्फीले और ऊँचाई वाले इलाके में खोए हुए थे. 


2018 में, इस विमान का मलबा और एक सैनिक का शव ढाका ग्लेशियर बेस कैंप पर मिला था, जो 6,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह खोज उस समय पर्वतारोहियों की एक टीम ने की थी, जो चंद्रभागा-13 चोटी पर सफाई अभियान पर थी. अब, दुर्घटना के 56 साल बाद, चार सैनिकों के इन अवशेषों की हालिया बरामदगी उन शहीदों की याद को सम्मानित करने और उनके परिवारों को सुकून पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. 


एसपी चौधरी ने बताया कि सेना का अभियान दल अब अवशेषों को लोसर बेस पर ला रहा है। उन्होंने कहा, "सैनिकों के अवशेषों को पहचान और अन्य औपचारिकताओं के लिए लोसर लाया जाएगा." उन्होंने यह भी बताया कि जहां से मलबा और अवशेष मिले हैं, वह इलाका बेहद कठिन और ऊंचाई पर स्थित है, जिससे वहाँ पहुंचना और खोज अभियान चलाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह बरामदगी सेना के पर्वतारोहण दल की दृढ़ता और विशेषज्ञता का प्रमाण है.


इस खोज ने 1968 की दुर्घटना पर फिर से ध्यान आकर्षित किया है, और कई लोगों को उम्मीद है कि इन सैनिकों के अवशेषों की बरामदगी से उन अन्य सैनिकों का भी पता चल सकेगा, जो इस दुर्घटना के बाद अब तक लापता हैं.