Adbhut Himachal: शिमला के इस पर्वत पर त्रेता युग से होती आ रही है हनुमान जी की पूजा, यहां राम का जाप करने से पूरी होती हर मनोकामना
Jakhu Mandir Shimla: अद्भुत हिमाचल की सैर में हम आपको ऐसी कई रहस्यमयी कहानियों के बारे में बताते हैं जो हिमाचल प्रदेश से जुड़ी हुई होती हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जो राम, लक्ष्मण और सीता के वनवास काल से जुड़ी हुई है.
Jakhu Mandir Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अगर विशाल पर्वतों की बात की जाए तो यहां कुल सात पर्वत हैं. इनमें सबसे ऊंचा 'जाखू पर्वत' है. मान्यता है कि इस पर्वत पर हनुमान जी का वास है. कहा जाता है कि त्रेता युग में इस पर्वत पर भगवान हनुमान ने अपने चरण रखे थे. पर्वत के जिस हिस्से पर उनके चरण पड़े थे वहां एक मंदिर स्थापित गया है, जिसमें बजरंग बली की मूर्ति और उनकी चरण पादुका भी मौजूद हैं. इस मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि अगर कोई भी मंदिर की विपरीत दीवार के पास बैठकर श्री राम के नाम का जाप करेगा तो भगवान हनुमान उसकी इच्छा जरूर पूरी करेंगे.
वनवास से जुड़ा है इस मंदिर का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में इस पर्वत पर यक्ष ऋषि कई वर्षों से भगवान राम का जाप कर तपस्या कर रहे थे. जब राम और रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे, तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर बढे. जब हनुमान जी इस पर्वत से गुजर रहे थे तो उनकी नजर इस पर्वत पर राम नाम का जाप कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी. राम का नाम सुनकर हनुमान जी पर्वत पर उतरे और यक्ष ऋषि से भेंट (बात) की.
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आज भी मौजूद हैं हनुमान जी के पद चिन्ह
कुछ समय विश्राम के बाद बजरंग बली संजीवनी लेने के लिए निकल पड़े, लेकिन इस दौरान उनकी पादुका यहीं छूट गईं. इसके बाद यक्ष ऋषि ने हनुमान जी की एक छोटी सी मूर्ति बनाई और चरण पादुका को उनके पास रखकर पूजा शुरू कर दी और तभी से इस पर्वत पर हनुमान जी की पूजा की जा रही है. बता दें, इस पर्वत पर आज भी पवन पुत्र हनुमान के पद चिह्नों का स्मरण होता है. देश भर से श्रद्धालु भगवान हनुमान के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं.
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मंदिर के परिसर में आज भी मौजूद है चरण पादुका
बता दें, इस पर्वत का नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही पड़ा है. पहले इस पर्वत का नाम यक्ष था. इसके बाद याक किया गया, याक से याकू और समय के साथ इसका नाम याकू से जाखू कर दिया. वहीं, अगर भगवान हनुमान की चरण पादुका की बात की जाए तो वह आज भी मंदिर के परिसर में मौजूद हैं. साल 2010 में पर्वत पर बने मंदिर के परिसर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई थी. जब भी आप शिमला में प्रवेश करेंगे तो दूर से ही हनुमान की की मूर्ति नजर पड़ जाएगी.
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क्या है जाखू पर्वत का इतिहास?
जाखू मंदिर समिति के अनुसार, शिमला में समर पर्वत, इनवर्म पर्वत, एलिसियम पर्वत, प्रॉस्पेक्ट पर्वत, ऑब्जर्वेटरी पर्वत, बैंटोनी पर्वत और जाखू पर्वत हैं. इनमें से सबसे विशाल और सबसे ऊंचा पर्वत जाखू ही है. यह पर्वत 2,454 मीटर (8,051 फीट) की ऊंचाई पर है.
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