Rajouri Hadsa: सड़क मार्ग से लाया जा रहा कांगड़ा के शहीद अरविंद कुमार का पार्थिव शरीर
Rajouri Hadsa: शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई, जिसमें जिला कांगड़ा के रहने वाले जवान अरविंद कुमार भी शहीद हो गए. आज उनका पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से कांगड़ा लाया जा रहा है.
विपन कुमार/धर्मशाला: शुक्रवार 5 मई को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए. इस हादसे में जिला कांगड़ा की सुलह विधानसभा ग्राम पंचायत मरूह के गांव सूरी चट्टियाला के रहने वाले 32 वर्षीय अरविंद कुमार भी शहीद हो गए.
12 वर्षों से 9 पैरा रेजीमेंट में तैनात थे शहीद अरविंद कुमार
बता दें, अरविंद कुमार भारतीय सेना की 9 पैरा रेजीमेंट में पिछले 12 वर्षों से तैनात थे और श्रीनगर के कुपवाड़ा में अपनी सेवा दे रहे थे. शहीद अरविंद कुमार अपने पीछे दो छोटी बेटियां, पत्नी और बुजुर्ग माता पिता छोड़ गए हैं. अरविंद के चले जाने से उनका पूरा परिवार परेशान है. वहीं, अरविंद की शहादत की खबर सुनते ही ग्रामीण और उनके रिश्तेदार भी उनके घर पहुंच रहे हैं.
कुपवाड़ा से पुंछ बुलाए गए थे जवान
मिली जानकारी के अनुसार, अरविंद की पूरी रेजिमेंट को कुपवाड़ा से पुंछ बुलाया गया था, जैसे ही सेना को पता चला कि जिस इलाके में वह मौजूद हैं वहां एक गुफा भी है, जिसमें आतंकियों का समूह छुपा हुआ है वैसे ही अरविंद और उनके साथियों ने वहां मौजूद आतंकियों पर हमला किया. इस दौरान आतंकियों से हुई मुठभेड में अरविंद और उनके चार अन्य साथी जवान शहीद हो गए.
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जानकारी के मुताबिक शहीद अरविंद कुमार का पार्थिव शरीर मौसम की खराबी के चलते उधमपुर से एयरलिफ्ट नहीं हो पाया. ऐसे में अब उनका पार्थिव शरीर उधमपुर से सड़क मार्ग से उनके गृह जिला लाया जा रहा है जो शाम तक पालमपुर के होलटा स्थित आर्मी कैंप पहुंचने की संभावना है.
दो महीने पहले ही ड्यूटी पर गए थे शहीद अरविंद
शहीद अरविंद कुमार के भाई भूपेंद्र कुमार ने बताया कि अरविंद अभी दो महीने पहले ही छुट्टियां बिताकर वापस ड्यूटी पर गए थे. उन्होंने बताया कि उन्हें सेना की ओर से फोन पर बताया गया कि उनके भाई को गोली लगने से वह घायल हो गए हैं और जब वह घर पहुंचे तो दोबारा फोन कर बताया गया कि अरविंद की आतंकी मुठभेड़ में मौत हो गई है.
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वहीं, शहीद अरविंद के रिश्तेदार संजीव कुमार ने बताया कि अरविंद बचपन से ही बेहद साहसी और प्रतिभाशाली थे. अरविंद कुमार साल 2012 में पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे और महज चंद वर्षों में ही उन्होंने स्पेशल फोर्स में अपनी जगह बना ली थी. उन्होंने बताया कि अरविंद कुछ समय के लिए जर्मनी भी गए थे जहां उन्होंने कई तरह के कॉम्पीटीशन अवॉर्ड भी हासिल किए थे.
संजीव ने बताया कि वह सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशन में भी अपनी अहम भूमिका निभा चुके थे. उन्होंने बताया कि अरविंद की 2 छोटी बेटियां, पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बहन भी हैं. अरविंद के पिता PWD से रिटायर्ड हैं जो अभी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं.
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