Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल विजय दिवस की 24 वीं वर्षगांठ पर पूरा देश शहीद सैनिकों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है.  वहीं शहीद सैनिकों के परिवार भी अपने जिगर के टुकड़ों की बहादुरी को याद करते हुए गमगीन आंखों से गर्व महसूस करते हैं.  इसी युद्ध में शहीद हुए कैप्टन अमोल के पिता सतपाल कालिया शहीदों और उनके बेटे को याद किए जाने पर राष्ट्र का आभार जताते हैं और अपने बेटे की शहादत पर गर्व भी महसूस करते है. 


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नम आंखों से वह बताते हैं कि उनकी इच्छा थी कि उनके दोनों बेटे फौज में भर्ती हो और उनकी इस इच्छा को उनके बेटों ने पूरा भी किया. सतपाल कालिया इसे अपने बेटे द्वारा उन पर किया गया एहसान बताते हैं.  आपको बता दें, कि शहीद अमोल कालिया के बड़े भाई एयरपोर्ट में ग्रुप कैप्टन के रूप में अपनी सेवाएं देश को दे रहे हैं. 


शहीद अमोल कालिया के पिता अपने बेटे की यादों और किस्सों को दिल में संजोए तो है, लेकिन उसकी इन्हीं यादों और किस्सों को शब्दों में बयां करना और बार-बार दोहराने को वो पीड़ादाई भी बताते हैं.  


बता दें, वीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन अमोल कालिया के पिता इसी गर्वीली आंखों से अपने बेटे को याद करते हुए कारगिल युद्ध से केवल 10 दिन पहले बेटे के घर आने और बर्फ पर चढ़ने से संबंधित तस्वीरों को वापिस अपने साथ लिए जाने की बात बताते हैं.  वो उस आखिरी मुलाकात में हुई बातों और उसकी शादी की तैयारियों की चर्चा करते हैं. 


वह बताते हैं कि अमोल कालिया ने अपने अंतिम पत्र में उन्हें यानि अपने माता पिता को शादी की जल्दी होने पर सब कुछ तय किए जाने की बात लिखी थी और जून के अंतिम सप्ताह में वापस आकर सगाई या सब कुछ निर्धारित किए जाने को लिखा था.  अतीत की यादों में डूबे दिल और गमगीन आंखों से सतपाल कालिया फिर कह उठते हैं कि लेकिन वह जून का अंतिम सप्ताह कभी आया ही नहीं और 9 जून को ही अमोल कालिया चले गए.


पिता अपने बेटे की यादों को बयां करते हुए बताते हैं कि युद्ध से पहले अमोल ने उनसे लैंडलाइन फोन पर बात करने की कोशिश की थी, लेकिन वह अपने बड़े बेटे की शादी के बाद माता वैष्णो देवी के दरबार में गए थे.  इसी कारण अंतिम बार उनकी अपने बेटे से बात भी ना हो सकी , जिसका  दुख उन्हें आज भी होता है.  वो कहते हैं कि अमोल के कई सपने थे , जिन्हें उसे पूरा करना था, लेकिन वो बहुत जल्दी चला गया. 


बता दें, शहीद अमोल कालिया का परिवार यूं तो शहीदों के प्रति केंद्र और राज्य सरकारों के रवैये से संतुष्ट हैं , लेकिन शहीद बेटे के नाम पर हिमाचल पंजाब सीमा पर बने प्रवेश द्वार पर वो अपने बेटे का नाम सही रूप से नहीं लिखे जाने से व्यथित हैं.  सरकारों को बार बार लिखे जाने और कहे जाने के बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने से दुखी हैं.  सतपाल कालिया आज की युवा पीढ़ी को नशों से दूर रहकर देशसेवा के अवसर ढूंढने की सलाह देते हैं. 


जानकारी के लिए बता दें, युद्ध में बटालिक सेक्टर के प्वाइंट 5203 पर कैप्टन अमोल कालिया अपने साथियों के साथ एक ऐसी जंग लड़ने गए थे...जिसके बारे में उन्हें पता था कि जीवित लौटना मुश्किल है...ये जंग कारगिल वॉर की सबसे ज्यादा मुश्किल लड़ाइयों में से एक थी.  जिसमें महज 25 साल की उम्र में कैप्टन अमोल कालिया और उनके सभी साथियों की शहादत हुई थी . बाद में मरणोपरान्त कैप्टन अमोल कालिया को वीर चक्र से सम्मानित किया गया.