गिरिपार में आज भी आजीविका का साधन बना है सदियों पुराना घराट, जानिए क्यों लोग इसमें पिसवाते हैं गेहूं
Himachal Pradesh, Nahan News: सिरमौर के गिरिपार में आज भी आजीविका का साधन सदियों पुराने घराट बना हुआ. कई लोग पुश्तों से घराट चलाने का कार्य संभाल रहे हैं. जानिए क्या है घराट
Nahan News: सिरमौर जिला के गिरिपार इलाकों में आज भी बड़ी संख्या में सदियों पुराने घराट चल रहे हैं. कई लोगों के लिए आज भी यह घराट आजीविका का साधन बने हुए है. गिरिपार इलाके में रेणुका विधानसभा क्षेत्र के सीऊं व पालर के अलावा शिलाई क्षेत्र में बड़ी संख्या मे घराट चल रहे है और सदियों बाद भी घराटों का वजूद कायम है. बिना सरकारी मदद अथवा ऋण के लगाए गए यह घराट कुछ लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन भी बने हुए हैं.
गांव सीऊं के घराट मालिक रघुवीर सिंह ने बताया कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में नदी नालों के किनारे घराट चल रहे है और कईं पीढ़ियों से घराट उनके परिवार की आय का मुख्य जरिया बना हुआ है. उन्होंने कहा कि घराट में तैयार किया हुआ आटा बेहद ही गुणकारी होता है और मशीनों के जरिए तैयार किए जाने वाला आटा कई बार जल जाता है, लेकिन घराट का आटा बिल्कुल अलग व स्वादिष्ट होता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के अलावा भारी क्षेत्र से भी उनके पास घराट में तैयार होने वाले आटे की डिमांड आती है.
स्थानीय निवासी विजय आज़ाद ने बताया कि घराट में तैयार होने वाला आटा बेहद पोष्टिक होता है. घराट में गेहूं, मक्की, जौ, हल्दी और चने को पिसा जाता है. साथ ही बताया कि क्षेत्र में अभी भी अधिकतर लोग घराट में तैयार किया हुआ आटा पसंद करते है.
क्षेत्र में नालों के साथ बसे गांव में हालांकि बिजली की चक्कियां होने के साथ-साथ आसपास के कस्बों से ब्रांडेड व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आटे की सप्लाई भी होती है, लेकिन अधिकतर ग्रामीण अपने अनाज घराट में ही पिसवाना पसंद करते है.
रिपोर्ट- देवेंद्र वर्मा, नाहन