Paonta Sahib News: हिमाचल प्रदेश का सिरमौर सूखे की चपेट में है. आसमान में बादल का नामों निशान नहीं है. इसके साथ ही यहां लगातार पिछले दो महीनों के सूखे का रिकार्ड भी बन गया है, जिले का अधिकतर कृषि क्षेत्र असिंचित है. खेतों में खड़ी फसलें बारिश के पानी पर ही निर्भर रहती हैं. लिहाजा इस लंबे ड्राई स्पेल के कारण गेहूं, मटर, जौ, सरसो, धनिया आदि की बिजाई पर असर पड़ रहा है. 


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भंयकर सूखे के कारण किसान अपने खेतों को बुआई के लिए तैयार ही नहीं कर पा रहे है. यहां इन दिनों लहसुन, अदरक, टमाटर व बरसाती मटर की फसलें लगी है, जिसमें से बरसाती मटर की लगभग 80% फसल तो सूखे की भेट चढ़ गई है. 


इसी तरह लहसुन की फसल तो अभी लगी है और इसकी गुड़ाई का समय आ गया है. मगर बिना बारिश के लहसुन की गुडाई संभव नहीं हो पा रही है. यहां किसान काफी हद तक अपनी लहसुन की फसल को सूखे से बचाने के लिए सिंचाई कर रहे हैं. 


बारिश नहीं होने की वजह से अब सिचांई के जल स्त्रोत भी सूखने लगे है. अगर जल्द बारिश नहीं होती तो सिचांई की सुविधा भी बंद हो सकती है. यहां पूरे क्षेत्र में अधिकतर खेत अभी खाली पड़े हैं. इस बारे में कृषि विभाग राजगढ़ के विशेषज्ञ वाद विशेषज्ञ शिवराम ने कहा कि पिछले काफी समय से बारिश ना होने के कारण काफी सुखा चल रहा है. मगर अभी किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां फसलों की बिजाई की तीन स्टेज होती है. 


इनमें अर्ली, मिड व लेट तो ऐसे में किसान अर्ली वैरायटी की फसलों के बीजन एवाईड करें और वह मिड व लेट वैरायटी की फसलों को बीजने का प्रयास करें. इसके लिए कृषि विभाग के पास भी बीज उपलब्ध है. इसके साथ- साथ किसान किसी भी तरह की समस्या के लिए कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है. कृषि विभाग हमेशा किसानों को उनके घर द्वार पर बेहतर सुविधा देने का प्रयास करता है. 


रिपोर्ट- ज्ञान प्रकाश, पांवटा साहिब