Shimla News: शिमला में BJP प्रवक्ता विवेक शर्मा कांग्रेस पर उठाए सवाल, कहा- स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हो रहा अन्याय
Shimla News in Hindi: हिमाचल प्रदेश के शिमला में चिकित्सकों ने पेन डाउन स्ट्राइक किया है. जिसे लेकर भाजपा कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा रही है.
Shimla News Today: हिमाचल की राजधानी शिमला में बुधवार को भाजपा प्रवक्ता विवेक शर्मा ने चिकित्सकों के शोषण को दुर्भाग्य पूर्ण करार दिया है. साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के चरमरा जाने की चिंता व्यक्त की है. गौरतलब है कि एनएचएम कर्मचारियों के उत्पीड़न का मामला अभी सुलझा नहीं था कि प्रदेश के चिकित्सकों ने पेन डाउन स्ट्राइक करने का अल्टीमेटम सरकार को दे दिया है.
बता दें, अनुबंध पर कार्यरत चिकित्सकों की सैलरी में 6,700 की कटौती कर दी गई है. चिकित्सकों को नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस एमपीए मिलता था. अब नए कॉन्ट्रैक्ट में एनपीए हटा दिया गया है. जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
उन्होंने कहा क्या प्रदेश सरकार सर्विस कंडक्ट रूल्स में कोई परिवर्तन करने जा रही है. क्या कैबिनेट में इस पर कोई चर्चा हुई है या पूर्व के किसी विधानसभा सत्र में इस पर कोई चर्चा हुई है. सरकार प्रदेश की जनता को बताएं क्या नव नियुक्त चिकित्सकों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति प्रदान करने जा रही है? या केवल यह एक पढ़े लिखे शिक्षित युवाओं के साथ रोजगार के नाम पर शोषण हो रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि अगर प्रदेश में यही परिस्थितियां बनी रही तो प्रदेश में चिकित्सकों का अभाव हो जाएगा और दूरदराज के क्षेत्रों में चिकित्सक सेवाएं नहीं देंगे. वह अन्य राज्यों का रुख करना प्रारंभ कर देंगे. चिकित्सकों का अभाव पहले ही प्रदेश में है. ऐसे में ये और बढ़ जाएगा.
जो डॉक्टर प्रदेश की जनता के प्रति लगन ईमानदारी से काम कर रहे हैं. उनका शोषण नहीं होने दिया जाएगा. हिमाचल में जहां आज आर्थो के क्षेत्र में डॉक्टर राज बहादुर, कार्डियक सर्जरी के क्षेत्र में डॉक्टर महंता, आंखों के क्षेत्र में डॉक्टर जगत राम मेडिसिन के क्षेत्र में डॉक्टर रणदीप गुलेरिया व इनोवेटिव रोबोटिक सर्जरी में डॉ विवेक ने बड़े आयाम हासिल किया हैं. वहीं, आज प्रदेश के चिकित्सकों को न्यूनतम दिहाड़ी वाले मानदेय पर रखा जा रहा है. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
वर्तमान परिवेश में प्रदेश आपदा से जूझ रहा है. ऐसे में चिकित्सकों का आक्रोश प्रदेश को एक नए संकट में डाल सकता है. कांग्रेस सरकार के नेता व अधिकारी विषय को गंभीरता से क्यों नहीं लेते. यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है.