Bilaspur News: बिलासपुर जिला के बरमाणा गांव में 30 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में नवजात शिशु मिलने के मामला सामने आया था जिसे जिला अस्पताल बिलासपुर में स्वास्थ्य जांच के लिए लाया गया था. वहीं यह नवजात शिशु बरमाणा सरकारी स्कूल के समीप लावारिस हालत में स्थानीय ग्रामीणों को मिला था, जिसे जन्म देने के बाद उसके माता-पिता ने बेसहारा की तरह छोड़ दिया था. 


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वहीं, बच्चे की आवाज सुनकर स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को दी और तुरंत इलाज के लिए बच्चे को अस्पताल लेकर आ गए, जहां चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य जांच में बच्चा ठीक पाया गया था व नवजात शिशु को चिकित्सकों की देखरेख में अस्पताल में रखा गया था. 


नवजात शिशु को ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद उसे बाल संरक्षण इकाई शिमला भेज दिया गया है, जहां यह शिशु दो माह के लिए रखा जाएगा और इस शिशु को गोद लेने के लिए इच्छुक दंपत्ति ऑनलाइन अप्लाई के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी करने पर ही बाल संरक्षण के अधिकारी शिशु को उचित दंपत्ति को ही गोद देंगे. 


वहीं नवजात शिशु को शिमला भेजने की सूचना मिलते ही बरमाणा गांव के स्थानीय ग्रमीण रणजीत सिंह के पक्ष में उतर आये हैं और उसे ही शिशु को देने की मांग कर रहे हैं. अपनी मांग को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय परिसर पहुंचकर जमकर नारेबाजी की और उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा. वहीं रणजीत सिंह का कहना है कि जब उसे यह नवजात शिशु मिला था तो उसकी हालत नाजुक थी और बच्चे को बचाने के लिए उसे तुरंत जिला अस्पताल लेकर आ गया जिससे बच्चा सुरक्षित है. 


साथ ही उसने कहा कि जब उसे यह नवजात शिशु मिला उस दिन उसके बेटे का श्राद्ध था जिसकी 13 वर्ष पूर्व मृत्यु हो गयी थी. इसलिए उसका बेटा इस शिशु के रूप में ही वापिस आया है. वहीं बरमाणा गांव से आई महिलाओं ने भी प्रदेश सरकार व प्रशासन से रणजीत सिंह को ही यह नवजात शिशु सौंपने की मांग की है.


रिपोर्ट- विजय भारद्वाज, बिलासपुर