Shimla News: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस की सरकार मित्रों की सरकार है. मित्रों के लिए सरकार व मित्रों के द्वारा सरकार है, लेकिन पिछले कल इसमें एक और इजाफा हो गया. यह सरकार अब केवल मित्रों की ही सरकार नहीं रही बल्कि पति, पत्नी और मित्रों की सरकार बन गई है.  यह सरकार कांग्रेस के लिए भी नहीं है. केवल और केवल अपने परिवार व मित्रों के लिए है. 


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राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल में तीन विधानसभाओं देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ के उपचुनाव हो रहे हैं और उपचुनावों के बीच मुख्यमंत्री कैबिनेट करके देहरा में पुलिस जिला बनाने की घोषणा कर रहे हैं. इससे बड़ी संविधान की उल्लंघना और क्या हो सकती है. यह तो संविधान के पन्नों को फाड़कर रद्दी में फैंकने जैसा है और चुनाव आयोग हाथ पर हाथ धर के मूकदर्शक बनकर बैठा है. 


लोकसभा चुनावों में और उपचुनावों में चुनाव आयोग की भूमिका किसी भी प्रकार से निष्पक्ष नहीं है और इन चुनावों में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा है. बिंदल ने सरकार से पूछा कि यदि मुख्यमंत्री की पत्नी देहरा से चुनाव न लड़ती तो क्या वो देहरा को पुलिस जिला घोषित करते? और क्या कांगड़ा के बारे में उनकी यही नीति है. 


यदि कुछ करना ही था तो कुछ बड़ा करते, देहरा को जिला ही बना देते, लेकिन यह केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम है. यह केवल वोट प्राप्त करने की योजना है. उन्होनें कहा कि यदि मुख्यमंत्री को ससुराल की इतनी ही चिंता थी तो डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में देहरा में मेडिकल कॉलेज खुल जाता. मेडिकल युनिवर्सिटी खुल जाती तो न जाने क्या-क्या काम हो जाते, लेकिन सवाल तो यह है कि पिछले डेढ़ साल में मुख्यमंत्री के अपने गृह क्षेत्र नादौन में कुछ नहीं हुआ तो देहरा में क्या होगा. 


यह केवल चुनाव की दृष्टि से दिया गया बयान है और हम चुनाव आयोग से स्पष्ट कहना चाहते हैं कि वो चाहे विभिन्न प्रकार की योजनाओं की घोषणा हो, भर्तियों की घोषणा हो, खुले तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है और केवल वोटों को प्रभावित करने के लिए की गई राजनीति का हिस्सा है.


उन्होंने कहा कि इस प्रकार के हथकंडों से कोई लाभ कांग्रेस को मिलने वाला नहीं है. अब देहरा की जनता यह समझ चुकी है आप किस लिए वहां चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे हैं. उन्होनें कहा कि हिमाचल में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है, लेकिन सरकार कैबिनेट में इसकी कोई चर्चा नहीं करती है. जंगल के जंगल जलकर राख हो रहे हैं, लेकिन कैबिनेट में इसकी कोई चिंता नहीं होती. 


लगातार हत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं, कैबिनेट में इसकी कोई चिंता नहीं हुई. ड्रग माफिया बेखौफ चल रहा है, कैबिनेट में कोई चिंता नहीं हुई. कैबिनेट की बैठक केवल इसलिए की गई कि हम किस प्रकार उपचुनावों में वोटों को प्रभावित करें. प्रदेश की जनता त्रस्त है और सरकार केवल वोटों की राजनीति में मस्त है. 


रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला