Shimla Cloudbrust News: पिछले दिनों हुई भारी बरसात के कारण जिस तरह से हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में तबाही मची.  इसमें  शिमला जिला का रामपुर उपमंडल भी अछूता नहीं रहा है.  सैकड़ों की संख्या में  घर क्षतिग्रस्त हुए है. दर्जनों के हिसाब से लोगों के आशियाने  ढह गए.  लोगों के बाग बगीचे उजड़ गए. 


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लोगों ने जिंदगी भर की कमाई लगाकर आशियाने खड़े किये थे. हाड तोड़ मेहनत कर सुखद भविष्य की आस में वर्षों मेहनत के बाद बाग एक पल में बह गए. वहीं, 25 जुलाई की रात कुदरत ने सरपारा के कंधार में  बादल फटने  के बाद जो तबाही मचाई उस मंजर को प्रभावित भूल नहीं पा रहे हैं. इस त्रासदी में हालांकि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन कई भेड़ , बकरियां और गाय बाढ़ में समा गए.  तीन-तीन मंजिले घर लकड़ पत्थर के ढेर में तब्दील हुए.  प्रभावितों की माने तो सरकारी स्तर पर फौरी राहत भी औपचारिकताओं को निभाना मात्र था. 


प्रभावितो की मांग है की सरकार उनकी फरियाद सुनते हुए तकलीफ को दूर करे. रामपुर उपमंडल के सरपारा पंचायत के कंधार गांव के  मोहनलाल ने बताया कि 25 जुलाई की रात करीब 11 बजे उनके घर  के साथ का नाला काल बनकर  आया और पलभर में  तीन मंजिला मकान ,चार गाय , अनाज भंडारण स्टोर व बगीचा बह गया. अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा, केवल वे अपनी जान बचाने में सफल हुए. 


वे मुख्यमंत्री से गुजारिश करते हैं कि अब वे बेघर हुए हैं. जल्द से जल्द उन्हें आर्थिक मदद की जाए और कहीं उन्हें दूसरी जगह बसाया जाए. साथ ही परस राम ने बताया कि हम बेघर हो गए. जमीन बह गई.  अब गाय ,पशु पालना भी मुश्किल है, क्योंकि चारों ओर से दरारें पड़ गई हैं. रास्ते नहीं है. 


एमएलए भी सड़क मार्ग तक आए लेकिन उनकी समस्याओं को सुनने नहीं पहुंचे और उससे उन्हें काफी मलाल है. कंधार के रहने वाले सुरेंद्र कुमार ने बताया 25 तारीख की रात को उनकी 20 भेड़े  दो गाय और 3 मंजिला मकान बाढ़ की चपेट में आने से बह गया. 


मलवा गांव के रहने वाले सुखदेव ने बताया कि उनके गांव को खतरा 
हो गया है.  उनके  गांव के 5 परिवार घर असुरक्षित होने के कारण गांव से बाहर टेंट के नीचे रहने पर मजबूर है. ऐसे में वो सरकार से चाहते हैं कि उन्हें आशियाने बनाने के लिए आर्थिक मदद करें ,ताकि वे चैन से रह सके.