Shimla News: हिमाचल प्रदेश निजी बस चालक संघ की शुक्रवार को सचिवालय में बैठक आयोजित हुई. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में निजी बस चालकों की लंबे समय से लंबीत चली आ रही मांगो पर चर्चा हुई. जिसमें पुरानी बसों के परमिट हस्तांतरण व HPO2 बसों के पंजीकरण सहित निजी बस ओपेटरों ने न्यूनतम किराया वृद्धि की मांग रखी. 


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इन मांगों पर विस्तृत रूप से चर्चा के बाद सभी मांगो को उपमुख्यमंत्री ने मानने का आश्वासन दिया.  साथ ही न्यूनतम किराया वृद्धि की मांग को सिरे से नकारते हुए साफ किया कि इस तरह के फैसले कैबिनेट मंजूरी के बाद होते है. 


उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज निजी बस चालको के साथ बैठक हुई उनकी कुछ मांगे थी जिसपर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई. उन्होंने कहा निजी बस चालकों के कुछ मुद्दे थे जिसमें उन्हें कुछ उलझन थी. जिसे आज साफ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि निजी बस चालकों में यह अवधारणा थी कि आठ वर्ष के बाद बस बिकेगी परमिट नहीं बिकेगा. 


उन्होंने इस तरह की खबरों को सिरे से नकारते हुए कहा कि सरकार ने अभी तक इस तरह की पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है.  बस के साथ परमिट भी हस्तांतरित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें HP 02 की बसों को प्रदेश में पंजीकरण में समस्या आ रही साथ ही टैक्स को लेकर भी समस्या आ रही थीं. उन्होंने कहा कि टैक्स स्ट्रक्टर में बदलाव किया जाएगा जिससे यह बसें यहां पंजिकृत हो सकें. 


आगे कहा कि उनकी सभी समस्याओं का हल किया गया है. साथ ही जो किराया बढ़ोतरी की बात है उसे बढाने कि उनके साथ कोई हामी नहीं भरी गयी है. ऐसे फैसले मंत्रिमंडल में जाते है और उसके बाद ही इन पर कोई निर्णय होता है. 


वहीं, निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि आज बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में उप मुख्यमंत्री के साथ बैठ हुई है. उप मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगे मानने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि आठ वर्षों के बाद बसों के बेचने पर परमिट नहीं बेच सकेंगे लेकिन उप मुख्यमंत्री ने स्थिति स्पष्ट कर दी है कि यह पॉलिसी पुरानी ही रहेगी. साथ ही HP02 के बसों के पंजीकरण की समस्या हल करने का आश्वासन और पंजीकरण फीस कम करने को भी कहा है. 


उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगे मानने का आश्वासन दिया है. राजेश पराशर ने कहा कि उन्होंने न्यूनतम 5 रुपये को 15 रुपये तक बढाने कि मांग भी रखी है क्योंकि यह न्यूनतम किराया वर्षों से चला आ रहा है.  इसे अब बढ़ाया जाना चाहिए.