Himachal Pradesh में आई आपदा का क्या है कारण, सुक्खू सरकार पर उठ रहे सवाल
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में कई दिनों तक हुई बारिश के कारण काफी तबाही मची. इस आपदा को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार ने यहां के लोगों की हर संभव मदद भी की, लेकिन अब इस आपदा को लेकर राजनीति होने लगी है.
समीक्षा कुमारी/शिमला: भाजपा के पूर्व मंत्री व संसदीय क्षेत्र प्रभारी विक्रम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की सरकार आपसी मतभेदों में उलझी हुई है, जिसका सीधा असर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे राहत और बचाव कार्यों पर हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस सरकार के एक मंत्री द्वारा लगातार ये बयान दिया जा रहा है कि यह नुकसान खनन के कारण हुआ है जबकि सरकार के दूसरे मंत्री और कुछ विधायक इस बात को डिफेंड करने में लगे हैं कि यह नुकसान खनन के कारण नहीं हुआ है.
कांग्रेस के नेताओं के विरोधाभासी बयान अधिकारियों को कार्य करने में बाधा पहुंचा रहे हैं. इस सब की वजह से राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं और पिक एण्ड चूज करते हुए सहायता दी जा रही है. विक्रम ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने इस मामले में सी.पी.एस की घेराबंदी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि विधायक के खुद के क्रशर हैं. ऐसे में उन्हें खनन अच्छा लग रहा है.
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दरअसल सी.पी.एस. राम कुमार चौधरी ने बद्दी में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस साल अगर सरसा नदी में माइनिंग नहीं हुई होती तो 16 फुट हाइट का पानी गया होता. इस कारण बद्दी से लेकर नालागढ़ तक जितने भी गांव सरसा नदी के साथ लगते हैं, वे सभी तबाह हो जाते.
उन्होंने बताया कि लोक निर्माण, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अवैध खनन पर लगाम लगाने को लेकर सशक्त नीति बनाई जाएगी. वह जल्द ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह व उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान से अवैध खनन की समस्या को समाप्त करने को लेकर एक सशक्त नीति बनाने का मामला उठाएंगे ताकि अवैध खनन को नियंत्रित किया जा सके.
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दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश से हुई तबाही के मामले में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह में जुबानी जंग छिड़ी हुई है. हाल ही में विक्रमादित्य सिंह ने कुल्लू दौरे के दौरान अपने बयान में कहा कि यह सभी चीजें अवैध खनन से हुई हैं. नदी और नालों का रुख बदल गया है.
वहीं, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि बड़ी मात्रा में पानी आया है. इससे तबाही हुई है. एक दो स्थानों पर अवैध खनन हो सकता है, लेकिन क्या पूरे कुल्लू जिले में अवैध खनन हुआ है. कुल्लू में जो त्रासदी हुई है वह बाढ़ से हुई है. ब्यास नदी के किनारे माइनिंग लीज नहीं दी गई है. हर्षवर्धन विक्रमादित्य के बयान से सहमत नहीं हैं. नदी नालों के 100 मीटर के बाहर माइनिंग की अनुमति दी जाती है. विक्रमादित्य सिंह का बयान समझ से परे है. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई से प्रदेश भर में असमंजस का माहौल है.
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