समीक्षा कुमारी/शिमला: एसएमसी शिक्षक हिमाचल राज्य सचिवालय के बाहर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने का इंतजार कर रहे हैं. ये सभी मंगलवार सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे. ये अपने साथ आपदा राहत कोष में देने के लिए डेढ़ लाख रुपये का चेक भी लेकर आए, लेकिन अभी तक इनकी मुलाकात सीएम सुक्खू से नहीं हुई है. एसएमसी शिक्षक अपने लिए स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.


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शिक्षकों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें नियमित करने पर नीति बनाए, अन्यथा ये सभी मिलकर बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि अब तक पिछली सरकार में भी केवल आश्वासन ही दिया गया. वहीं SMC के कुछ नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के पास अपना संदेश लेकर गए थे. शिक्षकों ने अधिकारी से सीएम के साथ मुलाकात के लिए समय मांगा, लेकिन अधिकारी की ओर से उनसे कोई बात नहीं की गई, बल्कि अधिकारी अपनी कुर्सी पर बैठकर संतरे खाने में ही व्यस्त रहे.


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उन्होंने कहा कि देश में कोरोना काल में ड्यूटी करने वालों को सम्मानित किया गया, लेकिन हिमाचल प्रदेश में अपमानित किया गया. आज वे सिर्फ दस महीने के भीतर ही सड़कों पर धरना देने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग कांग्रेस की वजह से सड़कों पर आ गए हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस सड़कों पर होगी. 


वहीं, मुख्यमंत्री के मीडिया प्रधान सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि करीब 2500 SMC शिक्षक ऐसे हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री ने दो महीने पहले शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में सब कमेटी का गठन कर दिया था. 9 महीने में ही 2 हजार वेतन में भी बढ़ोतरी की गई. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष के बयान पर पलटवार करते हुए नरेश चौहान ने कहा कि पिछले 5 साल में वह सत्ता में रहे तो उन्होंने इन शिक्षकों के लिए कोई नीति क्यों नहीं बनाई. 


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पूर्व सरकार के कार्यकाल में पांच वर्षों के दौरान मात्र 1500 रुपये वेतन बढ़ाया गया, जबकि हमने 9 महीने में 2000 रुपये वेतन बढ़ाया, जिसकी नोटिफिकेशन भी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार शिक्षकों के हित में है. मुख्यमंत्री आज 5 बजे शिक्षकों से मुकाकत करेंगे. सरकार इनकी मांगो पर विचार करेगी. नरेश चौहान ने कहा कि 2000 रुपये देने के चलते प्रदेश सरकार पर लगभग 5 करोड़ की कर्जदारी बढ़ाई है.