Kargil Diwas 2024: कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर शिमला में ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह किया गया. इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शाडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. साथ ही कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये. 


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इस कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद, शौर्य सम्मान से सम्मानित वीर नारी और कारगिल युद्ध का हिस्सा रह चुके सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि ने कहा कि प्रदेश को वीर भूमि होने का श्रेय प्राप्त करने में हिमाचल के वीर सपूतों का अभूतपूर्व योगदान रहा है. जब भी देश को आवश्यकता हुई है. यहां के वीर जवानों ने अभूतपूर्व सैन्य परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपने साहस और पराक्रम का परिचय दिया है. 


उन्होंने कहा कि वेदों में राष्ट्र धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. राष्ट्र धर्म के लिए अपने प्राणों की बलि दे देना पूजनीय है. उन्होंने कहा कि सैनिक अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं रहे हैं.  कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं. हमें उनके बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए. 


उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक हिमाचल प्रदेश के लगभग 1714 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं. भारतीय सेना हमेशा अपने देश की सीमा पर तैनात रहती है और दुश्मन देश की सेना हमेशा घुसपैठ करने की कोशिश में लगी रहती है. ऐसी ही घटना 1999 में हुई, जब पाकिस्तान ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया, लेकिन भारतीय सेना ने हजारों फुट की ऊचाई पर चढ़ाई करके दुश्मन की सेना को खदेड़ा और अपनी जमीन को उनके कब्जे से वापस लिया.


लगभग 3 महीने तक दोनों देशों के बीच घमासान युद्ध हुआ और भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की. तब से हर साल भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इस साल हम कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. 


सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों का कल्याण सरकार के लिये सदैव ही प्राथमिकता का विषय रहा है. सैनिक कल्याण विभाग शहीदों के आश्रितों, पूर्व सैनिकों व उनके परिवारों की देखभाल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि वह स्वयं एक सैनिक होने के नाते, शहीदों के आश्रितों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं और संवेदनाओं को भली-भांति समझते हैं. 


हिमाचल सरकार द्वारा वीर-नारियों, पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के कल्याण हेतु विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है. सितम्बर 2023 से युद्ध या ऑपरेशन के समय शहीद या दिव्यांग हुए सैनिकों के आश्रितों को प्रदान की जा रही अनुग्रह अनुदान राशि की दरों में डेढ़ गुणा बढ़ोतरी की गई. शहीद सैनिकों के परिवारों को मिलने वाली 20 लाख की राशि को बढ़ाकर 30 लाख, अन्य कारणों से सैनिकों के निधन पर राशि को 5 लाख से 7.50 लाख तथा युद्ध में अपंग सैनिकों को दी जाने वाली राशि को 2.50 लाख से 3.75 लाख व 1.00 लाख से 1.50 लाख रुपए किया गया है. 


कैबिनेत मंत्री ने कहा कि सितम्बर 2023 से नॉन पैन्शनर पूर्व सैनिकों व उनकी विधवाओं को मिलने वाली बुढ़ापा आर्थिक सहायता की पात्रता हेतु 35,000 रूपए की वार्षिक आय सीमा की शर्त को हटाया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के नॉन पैन्शनर पूर्व सैनिकों व उनकी विधवाओं को दी जा रही बुढ़ापा आर्थिक सहायता को 31 अक्टूबर 2023 से प्रथम विश्व युद्ध के नॉन पैन्शनर पूर्व सैनिकों को भी प्रदान करने की स्वीकृति प्रदेश सरकार द्वारा दी गई. 


इसके अलावा प्रदेश के सैनिकों व पूर्व सैनिकों को हिमाचल पर्यटन निगम के होटलों में ठहरने पर 50 फीसदी की छूट तथा होटल के खाने पर 30 फीसदी की अतिरिक्त छूट का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि 660 पूर्व सैनिकों व 08 शहीदों के आश्रितों को रोजगार प्रदान किया गया. इसके साथ शौर्य पुरस्कार विजेताओं को लगभग 4 करोड़ की राशि वितरित की गई है. 60 वर्ष से ऊपर के नॉन पैन्शनर पूर्व सैनिकों व उनकी विधवाओं को लगभग 9 करोड़ की बुढ़ापा आर्थिक सहायता की राशि वितरित की गई.


युद्ध ऑपरेशन के समय शहीद या दिव्यांग हुए सैनिकों के आश्रितों को कुल मुबलिग 3.50 करोड़ की अनुग्रह राशि प्रदान की गई. 24 वीरता पुरस्कार विजेताओं व 05 वीर नारियों को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा प्रदान की गई. युद्धजागीर के लाभार्थियों को लगभग 37 लाख की राशि प्रदान की गई. सैनिक विश्राम गृहों के रखरखाव पर 25 लाख रुपये की राशि खर्च की गई. 


कार्यक्रम में सैनिक कल्याण बोर्ड के निदेशक बिग्रडियर मदन शील शर्मा ने अपने भाषण में कारगिल विजय दिवस के बारे विस्तृत जानकारी रखी. कार्यक्रम में उपायुक्त अनुपम कश्यप ने मुख्यातिथि, शहीद परिवारों के सदस्यों, पूर्व सैनिकों और अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज हम अगर देश में सुरक्षित है, तो सैनिकों की बलिदान और वीरता की वजह से है. उन्होंने कहा कि हमारे बलिदानी वीरों की वीरता के बारे में समाज को जागरूक होना चाहिए. 


कारगिल युद्ध में शहीद ग्रेनेडियर नरेश कुमार की धर्मपत्नी शकुंतला गांव मूल भजी डॉ. थैला तहसील सुन्नी जिला शिमला और शौर्य चक्र सम्मानित बलिदानी राइफलमैन कुलभूषण मांटा की धर्म पत्नी नीतू कुमारी गांव गौंठ डॉ. मझौली तहसील कुपवी जिला शिमला तथा शहीद लांस नाइक किशोरी लाल की धर्म पत्नी प्रवीण कुमारी को मुख्यातिथि ने सम्मानित किया. 


इसके साथ ही कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया. इनमें सुबेदार रतन सिसोदिया, सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा, सूबेदार मेजर शाम लाल शर्मा, सूबेदार मेजर कैलाश चौहान, सूबेदार वेद प्रकाश शर्मा, हवलदार लक्ष्मी दत्त शर्मा, हवलदार राम लाल, हवलदार प्रवीण, सुबेदार राम लाल शामिल रहे. 


बता दें, प्रदेश में वर्तमान में 1,29,656 पूर्व सैनिक, 972 वीर नारियां एवं 38,996 पूर्व सैनिकों की विधवाएं हैं. इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश के 04 जांबाज सैनिकों को परम वीर चक्र, 02 को अशोक चक्र, 11 को महावीर चक्र तथा 23 को कीर्ति चक्र जैसे शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसके अतिरिक्त 1148 सैनिक विभिन्न पदक से सम्मानित हैं. इनमें से जिला शिमला के 01 परम वीर चक्र, 01 अशोक चक्र, 01 कीर्ति चक्र, 06 वीर चक्र, 11 शौर्य चक्र, 58 सैनिक विभिन्न पदक से सम्मानित हैं.


कार्यक्रम के दौरान द बिगनर्स ग्रुप की ओर से शहीद सैनिक के परिवार पर आधारित आमा शीर्षक से नाटक का मंचन किया गया. इसमें कारगिल युद्ध में सैनिक के बलिदान तथा मां और बहन के जीवन को दर्शाया गया. नाटक के मंचन कर रहे रंगकर्मियों ने थियेटर में मौजूद सभी दर्शकों की आंखों को नम कर दिया और खूब तालियां बटोरी. 


इस मौके पर स्थानीय विधायक हरीश जर्नाथा, पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी, अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री, अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) अजीत भारद्वाज, उपमंडल दण्डाधिकारी शिमला ग्रामीण कविता ठाकुर, उपमंडल दण्डाधिकारी शहरी भानु गुप्ता, सहायक आयुक्त गोपाल चंद शर्मा सहित आर्मी, पुलिस और शहीद परिवारों के सदस्य विशेष तौर पर मौजूद रहे.


रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला