Bilaspur News: एक समय कहलूर रियासत के नाम से पहचान रखने वाला बिलासपुर आज भी अपनी संस्कृति व बोली के लिए देशभर में जाना जाता है. यही नहीं महर्षि वेदव्यास की तपोस्थली के रूप में जाना जाने वाला बिलासपुर जिला को पहले व्यासपुर के नाम से भी जाना जाता था. सतलुज नदी के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित बिलासपुर समुद्रतल से 670 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. जहां 52 शक्तिपीठों में शुमार शक्तिपीठ श्री नैनादेवी का मंदिर धार्मिक व पर्यटन में रूचि रखने वाले लोगों की पहली पसंद हैं. 


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वहीं न्यू बिलासपुर टाउनशिप को देश का सबसे पहला नियोजित हिल टाउन के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है जो की भाखड़ा बांध निर्माण के दौरान अस्तित्व में आया था. वहीं राजाओं के समय से बिलासपुर में चला आ रहा नलवाड़ी पशु मेला आज भी उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन समय की धारा के साथ मेले का अस्तित्व लगातार बदलता चला गया. 


एक समय में अच्छी नस्ल के पशुओं की खरीददारी के रूप में आयोजित नलवाड़ी पशु मेला अब लोगों के लिए समान की खरीददारी व बच्चों के लिए झूलों के आनंद तक सिमट कर रह गया है व मेले में अब पशुओं की खरीददारी नहीं होती है. वहीं राज्यस्तरीय नलवाड़ी मेले में पशु प्रतियोगिता, कुश्ती व खेलकूद प्रतियोगिता सहित सांस्कृतिक संध्याऐं ही लोगों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है. 


हर वर्ष की भांति इस साल भी गर्मियों की दस्तक के साथ शुरू हुए राज्यस्तरीय नलवाड़ी मेले में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है और काफी संख्या में लोग घरेलू वस्तुओं की ख़रीददारी के लिए मेले का रुख़ लोग कर रहे हैं. एक ओर जहां नलवाड़ी मेले में नन्हे बच्चे झूलों का आनंद ले रहे हैं तो साथ ही महिलाएं घर से जुड़ी वस्तुओं को खरीदने के लिए मेला स्थल पर पहुंच रही हैं. 


मेले में आये लोगों का कहना है कि बिलासपुर की प्राचीनतम संस्कृति में शुमार नलवाड़ी मेला राजाओं के समय से मनाते चले आ रहे हैं और इस मेले के सफल आयोजन के लिए प्रदेश के लोगों को चाहिए कि वह लुहनु मेला ग्राउंड का रुख करें ताकि मेले के रूप में जहां प्राचीन संस्कृति को संजोये रखा जा सके तो साथ आज की युवा पीढ़ी भी इन मेलों के जरिए अपनी संस्कृति व भाईचारे को समझ सके. 


साथ ही स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन व सरकार से मांग की है कि राजाओं के समय से मनाते आ रहे नलवाड़ी मेले का दर्जा बढ़ाया जाये और राज्यस्तरीय नलवाड़ी मेले को राष्ट्र स्तरीय मेले का दर्जा दिया जाये ताकि मेले में दुकानें लगाने दूर-दूर से आये दुकानदारों को अधिक लाभ मिल सके और देश प्रदेश के लोग इस मेले में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले सकें.


रिपोर्ट-विजय भारद्वाज, बिलासपुर