विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में जी पंजाब हरियाणा हिमाचल चैनल की खबर का असर देखने को मिला है. भनुपल्ली-बिलासपुर रेलवे प्रोजेक्ट में लगे टिप्पर ऑपरेटर्स द्वारा माल ढुलाई किराया बढ़ाए जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही थी. वहीं बिलासपुर जिला के जबली स्थित रेलवे लाइन निर्माण कंपनी के कार्यालय के बाहर माल ढुलाई किराए भाडे की बढ़ोतरी की मांग को लेकर टिप्पर ऑपरेटर्स यूनियन बिलासपुर के बैनर तले टिप्पर ऑपरेटर्स ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया था और प्रशासन एवं रेलवे प्रोजेक्ट के अधिकारियों को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी थी. 


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उन्होंने कहा था कि जब तक उनके किराए भाडे में बढोतरी नहीं की जाती तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा. वहीं टिप्पर ऑपरेटर्स की मांग को लेकर जी पंजाब हरियाणा हिमाचल न्यूज चैनल ने उनकी खबर को प्रमुखता के साथ दिखाया था. खबर में यह सब कुछ दिखाया गया था कि किस तरह टिप्पर ऑपरेटरों ने अपनी मांगों को लेकर जिला प्रशासन एवं रेलवे लाइन कंपनी के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे थे, जिसके बाद रेलवे लाइन निर्माण कंपनी व वेंडर्स द्वारा टिपर ऑपरेटर्स के साथ मुलाकात ना करके केवल किराया बढ़ाया गया, बल्कि बाहरी वाहनों की जगह पर स्थानीय टिप्परों को ढुलाई का ज्यादा काम दिए जाने की मांग को पूरा किया है.


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वहीं टिप्पर ऑपरेटर्स यूनियन बिलासपुर के चैयरमैन सतदेव शर्मा, प्रधान चंदन चंदेल एवं उप प्रधान सूर्या ने उनकी मांगों को लेकर चैनल द्वारा दिखाई गई खबर के चलते उनकी मांग पूरी होने पर जी मीडिया का आभार जताते हुए प्रशासन का भी धन्यवाद किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि टिप्पर ऑपरेटर्स ने एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर दिन रात हड़ताल की थी, जिसके बाद कंपनी प्रबंधन व वेंडर्स ने उनकी मांगों को पूरा करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में भी रेलवे लाइन निर्माण कंपनी प्रबंधन व वेंडर्स स्थानीय ऑपरेटर्स के हितों का पूरा ध्यान रखेंगे.


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गौतलतब है कि भानुपल्ली-बिलासपुर रेलवे लाइन निर्माण को लेकर टिप्पर ऑपरेटर्स को माल ढुलाई भाड़ा 340 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर दिया जा रहा था, जिसे ऑपरेटर्स काफी कम बता रहे थे और उनकी मांग 450 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर भाड़े की थी, जिसकी एवज में हड़ताल के बाद कंपनी प्रबंधन व वेंडर्स द्वारा 60 रुपये किराया बढ़ाकर 400 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर कर दिया गया है, जिससे ऑपरेटर्स को कुछ राहत जरूर मिली है और बाहरी वाहनों के अपेक्षा स्थानीय टिप्परों को काम देने के आश्वासन के बाद टिप्पर यूनियन के ऑपरेटर्स ने अपनी हड़ताल को रोक दिया है और अपने काम पर वापिस चले गए हैं.


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