अरविंदर सिंह/हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिला पर्यावरण मित्र कहे जाने वाले गिद्धों को पूरी तरह रास आ गया है. वन्य प्राणी विभाग की तरफ से किए गए सर्वे में कांगड़ा जिला के विभिन्न क्षेत्रों में गिद्धों के 506 नए घोंसले मिले हैं. इन घोंसलों में 2500 के करीब अंडे होने की बात सामने आई है. ऐसे में अगर सभी अंडों से गिद्धों के बच्चे सुरक्षित बाहर निकले तो इनकी संख्या में हजारों का इजाफा हो जाएगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डीएफओ वन्य प्राणी विंग हमीरपुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में गिद्धों की संख्या अन्य जिला में गिद्धों की संख्या के मुकाबले ज्यादा है. उन्होंने बताया कि कई जिलो में नाम मात्र के लिए गिद्ध दिखाई देते हैं जबकि अधिकांश जिला में इनका नामो-निशान तक नहीं है. उन्होंने बताया कि गिद्धों के संरक्षण के लिए वन्य प्राणी विभाग लगातार कार्य कर रहा है. हर साल इनकी गिनती भी की जाती है. 


Tirupati Laddu में इस्तेमाल होने वाले घी में पाई गई 'सुअर की वसा' और कई अशुद्धियां!


बता दें, मवेशियों पर डाइक्लोफेनेक दवाई का उपयोग होने की वजह से इन्हें अपना शिकार बनाने पर गिद्धों की संख्या लगातार कम होती चली गई थी एक समय ऐसा था जब इनकी प्रजाति ही विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई. इसी बीच कांगड़ा जिला में कुछ स्थानों पर गिद्धों के होने की सूचना कई वर्ष पहले मिली थी. तब से लेकर आज तक इनके संरक्षण के लिए वन्य प्राणी विभाग लगातार कार्य कर रहा है. इनके लिए पौंग झील के आस-पास दो फीडिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं. इन फीडिंग स्टेशन में क्षेत्र के मृत मवेशियों को पहुंचाया जाता है. इसकी एवज में मवेशी मालिकों को रुपये दिए जाते हैं और गिद्धों को खाना मिल जाता है.


डीएफओ वाइल्ड लाइफ रेजिनोल्ड रॉयस्टन ने कहा कि कांगड़ा जिला में किए गए गिद्धों के सर्वे के दौरान 506 नए घोंसले मिले हैं. इन घोंसलों में करीब 2500 अंडे होने की उम्मीद है. गिद्धों की संख्या कांगड़ा जिला में बढ़ रही है जोकि सुखद बात है. उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला को जल्द ही वल्चर सेफ जोन घोषित कर दिया जाएगा. गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार विभाग की तरफ से उचित कदम उठाए जा रहे हैं.


WATCH LIVE TV