संदीप सिंह/मनाली: क्या आप जानते हैं देश के उत्तर में स्थित UT लद्दाख का बेहद दुर्गम क्षेत्र जांस्कर घाटी बीस हजार से ज्यादा की आबादी वाला क्षेत्र ऐसे कठिन इलाकों की बस्ती है जो कुछ वर्षों पहले ही सड़कों से जुड़ा है. इन इलाकों से बाहर निकलने के लिए यहां के लोगों को नदी के जमने का इतंजार करना पड़ता है.


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इस क्षेत्र में 8 से 10 दिन में तय होती है 100 किलोमीटर की दूरी
जी हां जांस्कर क्षेत्र में सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 35 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस दौरान जांस्कर नदी की ऊपरी परत जम जाती है. यह नदी लेह के पास निम्मू तक की दूरी तय करती है और इंडस नदी में जाकर मिलती है. ऐसे में यहां के लोग जान जोखिम में डालकर 100 किलोमीटर की दूरी इसी नदी के ऊपर से तय पूरी करते हैं, जिसमें इन्हें आठ से दस दिनों का समय लग जाता है.


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चादर ट्रैक को लेकर बढ़ रहा सैलानियों का क्रेज 
दुर्गम व प्राकृतिक चुनौतियों से भरे इन इलाकों में बसे लोगों के लिए यहां जीवन जीना बेहद मुश्किल है. यहां का 'चादर ट्रैक' जांस्कर घाटी की हजारों की आबादी को रास्ता देने का काम कर रहा है. हालांकि अब यहां के कई इलाके सड़क से जुड़ चुके हैं, लेकिन हर साल सर्दियों की दस्तक के साथ ही यहां ऐसी यात्रा शुरू होती है जो यहां के लोगों के लिए चुनौतियों से भरी होती है, लेकिन पर्यटकों के लिए रोमांच से भरी होती है. पिछले कुछ सालों में विदेशों और देशभर के सैलानियों का चादर ट्रैक करने का जुनून बढ़ने लगा है, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिलने लगा है.


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