Year Ender 2024: राजनीतिक दृष्टि कोण से बेहद खास रहा साल 2024, इस साल वो हुआ जो किसी ने नहीं सोचा
Politics Year Ender: साल 2024 खत्म होकर साल 2025 आने में अब महज कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. हर क्षेत्र के लिए यह साल कुछ ना कुछ याद देकर जा रहा है. ऐसे में अगर हम राजनीति क्षेत्र की बात करें तो यह राजनीति की दृष्टि से भी खास रहा है.
Politics Year Ender 2024: साल 2024 खत्म होने में कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. हर किसी को नए साल यानी 2025 का बेसब्री से इंतजार है. हर कोई नए साल को लेकर नए प्लान करके बैठा होगा. ऐसे में अगर हम देश की राजनीति की बात करें तो इस साल 2024 में भारत की राजनीति में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिसने लोगों को हैरान कर दिया. सियासी दृष्टिकोण से साल 2024 यादगार रहेगा.
यह साल लोकसभा चुनाव को लेकर काफी यादगार रहा है, क्योंकि इस बार अलग-अलग राज्यों से आए लोकसभा चुनावों के परिणामों ने हर किसी को हैरान कर दिया. जनता ने ऐसा जनादेश दिया, जिसका अनुमान भी बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक नहीं लगा पाए थे. लोकसभा चुनाव में देश के अलग-अलग कई राज्यों में जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही 'चार सौ पार' का नारा दिया गया था. हालांकि पार्टी इस आंकड़े को पार तो नहीं कर पाई और 240 सीटों पर सिमट गई, लेकिन पार्टी ने जदयू, टीडीपी और अन्य सहयोगी दलों की मदद से जीत हासिल कर केंद्र में एक बार फिर अपनी सरकार बनाई.
वहीं, अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां वो हुआ, जिसका किसी को अंदाजा नहीं था. प्रदेश में योगी-योगी के नारे लगने के बाद भी यहां की कुछ सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां हार का सामना करना पड़ा. पार्टी को यहां से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 62 सीटें जीती थी, वह इस बार महज 33 सीटें जीत सकी.
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लोकसभा चुनाव के अलावा इस साल कई राज्यों में विधानसभा के भी चुनाव हुए. इन राज्यों के चुनावी नतीजें ने भी चौंका कर रख दिया. अगर हम ओडिशा की बात करें तो लंबे समय से सत्ता पर काबिज नवीन पटनायक की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. प्रदेश में भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
वहीं, अगर हम हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा के चुनावी नतीजों ने भी राजनीतिक विश्लेषकों के दावों को गलत साबित कर दिया. राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणी थी कि भाजपा के लिए इस बार सत्ता विरोधी लहर है और जीत की राहें काफी मुश्किल हैं. इन राजनीतिक विश्लेषकों का दावा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस जीत दर्ज करेगी, लेकिन यहां के नतीजों ने सभी को चौंका दिया और भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई.
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महाराष्ट्र में भी यही हाल हुआ. उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को उम्मीद थी कि उन्हें जनता की सहानुभूति मिलेगी और वह सत्ता पर काबिज होंगे, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के नेतृत्व में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी वाले महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की.
अगर हम कांग्रेस की बात करें तो पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया. इसी तरह, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भाजपा को बहुमत की उम्मीद थी. हालांकि, वह पूरी नहीं हो सकी. झारखंड में भी भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही थी, लेकिन वहां भी भाजपा को निराशा हाथ लगी और हेमंत सोरेन ने फिर से सरकार बनाई.
(आईएएनएस)
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