High court News:  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक युवा दंपति की ओर से निकाह कर सुरक्षा माँगी गई थी लेकिन जो सबूत लगाए गए थे वह आपस में मेल नहीं खाते थे. इसको लेकर कोर्ट की ओर से इस मामले से संबंधित पंजाब के जिला फ़तेहगढ़ साहिब में पुलिस को मामले की जांच करने के लिए कहा ताकि पता लगाया जा सके कि निकाह के नाम पर धर्म परिवर्तन का कोई धंधा तो नहीं चल रहा. क़रीब एक महीने बाद जो जांच रिपोर्ट आयी तो उसमें सब कुछ सही बताया गया.


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जब की याचिका में लगाए गए सबूत आज भी पुलिस की जांच रिपोर्ट को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. इसलिए नाराज़ होकर कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच CBI से करवाने के निर्देश दिए हैं.


याचिकाकर्ता की तरफ से जो याचिका दायर की गई थी उसमें बताया गया था कि उन्होंने मस्जिद में निकाह किया है। जबकि जो फोटो याचिका में लगाए गए थे उसमें निकाह ऑटो-रिक्शा में हुआ दिख रहा था. ऐसे में अदालत ने कहा है कि यह पता लगाया जाए कि क्या "फर्जी विवाह" की आड़ में धर्म परिवर्तन का कोई गिरोह तो नहीं चल रहा है.


याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि जुलाई माह में पंजाब के नयागांव में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार लड़की के रिश्तेदारों की इच्छा के विरुद्ध निकाह किया गया था. इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा है. कोर्ट ने काजी द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को देखते हुए अदालत ने पाया कि विवाह के तथ्य को दूल्हे द्वारा सत्यापित किया गया है. हालांकि न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील ने "साफ तौर पर स्वीकार किया कि समारोह ऑटो-रिक्शा में आयोजित किए गए थे.


अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी कार्यवाही गलत इरादों से प्रेरित है और विवाह की आड़ में न्यायालय को मूर्ख बनाया जा रहा है। इसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए है.