Jalalabad News:  अगर कभी न हार मानने का जुनून हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। गांव स्वाहवाला की रहने वाली अनीशा ने इस तरह की मिसाल दी है.


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पिता के साथ हुए हादसे के बाद आर्थिक मंदी की दौर से गुजरी अनीशा ने मन में अधिकारी बनने की ठानी तो दो बार पास न होने के बाद तीसरी बार दी गई परीक्षा में आखिरकार उस ने सफलता हासिल कर लई और वह आज जज बन गई. जिसका गांव और पारिवारिक सदस्यों ने ढोल की ताल पर नाच कर स्वागत किया.


जानकारी देते हुए अनीशा ने बताया कि हरियाणा में एचसीएस ज्यूडिशियल (न्यायिक) सेवा परीक्षा हुई थी , जिसके परिणाम के दौरान उन्हें 55वां रैंक हासिल किया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले वह दो बार परीक्षा दे चुकी है. जिसमें दूसरी बार वह पंजाब में हुई परीक्षा के दौरान पास भी हुई और इंटरव्यू में महज दो नंबर से रह गई.


लेकिन अब उनके द्वारा तीसरी बार हरियाणा में दी गई परीक्षा के दौरान जज बनने का अवसर मिला है. जिसके बाद वह घर लौटी है और पारिवारिक सदस्यों ओर गांव निवासियों ने उसका भव्य स्वागत किया. अनीशा का कहना है कि काफी समय पहले उनके पिता को ब्रेन हेमरेज हो गया था जिस के कारण उनके पिता की एक आंख की रोशनी चली गई.


इलाज के लिए पैसा तक नहीं था. ऐसे दौर से गुजरने के बाद उसने ठानी कि वह कुछ करके दिखाएगी और उसे अधिकारी बनना है. जिसने यह साबित कर दिया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हौसले बन ही जाते हैं.


अनीशा की मां ने कहा कि आज उनकी लड़की जिस भी मुकाम पर है. वह उनके पति की बदौलत है . क्योंकि उनके पति ने एक आंख की रोशनी चले जाने के बाद भी एक आंख की नजर के सहारे दुकानों पर व अन्य स्थानों पर नौकरियों की और अपनी बच्ची को पढ़ाया.


जबकि अनीशा के पिता ने कहा कि अपनी बच्ची के लिए वह 24 में से 18 घंटे वर्कशॉप पर काम करते रहे और मकसद एक ही था कि उनकी बच्ची पढ़ लिख कर अपना मुकाम हासिल करें. आखिरकार आज वह दिन आ ही गया. उनकी मेहनत रंग लाई है और उनकी बच्ची जज बन गई है. परिवार में बेहद खुशी का माहौल है.