देवेंद्र शर्मा/बरनाला: दिवाली को लेकर बाजार भी सजने शुरू हो गए हैं. बाजारों में तरह-तरह के रंग-बिरंगे दिए और दिवाली पर इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन भी दिखने लगे हैं. पॉल्यूशन रहित दिवाली मनाने के लिए लोगों में भी जागरूकता देखी जा रही है. ग्राहक भी दिवाली की रंगत को बरकरार रखते हुए मिट्टी के बर्तन और मिट्टी के दियों की खरीदारी करते दिखाई दे रहे हैं. 


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ग्राहकों का कहना है कि पंजाब सरकार की मुहिम के तहत डिस्पोजल दिये और मोमबत्तियां छोड़कर ऑर्गेनिक मिट्टी के दिये इस्तेमाल करने से पॉल्यूशन भी खत्म होगा. साथ ही पंजाब सरकार की प्लास्टिक रहित मुहिम का भी हिस्सा बना जा सकेगा, लेकिन कहीं ना कहीं बढ़ती महंगाई को लेकर कुम्हार मिट्टी के दिये के दाम को लेकर चिंतित हैं. मिट्टी के दाम आसमान छू रहे हैं, लेकिन मिट्टी का दिया वर्षों पहले भी 1 रुपये में बिकता था और आज भी इसकी कीमत 1 रुपये ही है. मिट्टी में मिट्टी होकर भी उन्हें मिट्टी का सही दाम नहीं मिल रहा है. 


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मिट्टी के दिये बनाने वाले पवन कुमार ने बताया कि दिवाली की तैयारी पूरी हो चुकी है. मिट्टी के दियों का लाखों की गिनती में ऑर्डर आ रहा है. वह बरनाला से बाहर भी सप्लाई कर रहे हैं. इस बार बाजार में रंग-बिरंगे डिजाइनदार मिट्टी के दियों की डिमांड ज्यादा देखने को मिल रही है. इसी को लेकर तरह-तरह के मिट्टी के दीये बनाए जा रहे हैं.


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वहीं, पवन कुमार ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज महंगाई आसमान छू रही है. मिट्टी के दाम काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं. मिट्टी के बर्तन या दिये बनवाने के लिए दूर-दूर से मिट्टी मंगवानी पड़ती है जो काफी महंगा पड़ता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता है. उनका पूरा परिवार सारा दिन मिट्टी में मिट्टी होकर काम कर रहा है, लेकिन आज भी उनके बनाए हुए सामान का दाम पिछले कई सालों से वही चला आ रहा है. 


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