चंडीगढ़- हर साल लाखों लोग बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाते हैं. बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे 'बाबा बर्फानी' कहते हैं. कोरोना महामारी के चलते बीते दो सालों से अमरनाथ यात्रा पर रोक लगी हुई थी, ऐसे में इस साल यह यात्रा फिर से शुरू हो रही है. 


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इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून यानी आज से शुरू हो रही है जो 43 दिनों के बाद 11 अगस्त 2022 यानी रक्षाबंधन के दिन खत्म होगी. अमरनाथ यात्रा सबसे मुश्किल ट्रेक में से एक है . ऐसे में अगर आप भी इस साल अमरनाथ यात्रा पर जाने की तैयारियां कर रहे हैं तो आपको कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है.


इन बातों का रखें विशेष ध्यान...


अमरनाथ यात्रा पर जाने पहले अपनी फिजिकल फिटनेस का ख्याल रखें. 


अमरनाथ यात्रा  पर जाने से पहले रोजाना 4 से 5 किलोमीटर वॉक करें. 


ये बातें आप यात्रा पर जाने से एक महीने पहले से शुरू करें. 


13 साल से कम उम्र के बच्चों और 75 साल से ज्यादा के बुजुर्गों को यात्रा पर ना ले जाएं. 


प्रेग्नेंट महिलाओ और 6 महीने से छोटे बच्चों को इस यात्रा पर ले जाने की परमिशन नहीं है. 


अमरनाथ यात्रा के दौरान पूरे कपड़े पहनें. 


यात्रा के दौरान अच्छे ट्रेकिंग शूज पहनें. 


चप्पल पहनने की गलती ना करें क्योंकि बारिश के दौरान रास्ते काफी फिसलन भरे हो जाते हैं.


गुफा तक पहुंचने के लिए कोई शॉर्ट कट नहीं है. इस दौरान अगर आप शॉर्ट कट लेने की सोचते हैं तो इससे आपकी जान को खतरा हो सकता है. 


अमरनाथ यात्रा के लिए आपको सरकार या प्राइवेट ऑपरेटर्स की तरफ से कैंप्स आदि दिए जाते हैं. यहां आपको सोने के लिए गद्दे, तकिए और कंबल आसानी से मिल जाएंगे. 


अमरनाथ धाम का रहस्य...


हर साल इस गुफा में बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है. बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है. बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है.


यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है. हर साल यहां श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है.


अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है. 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ इसी गुफा में स्थित है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का कंठ गिरा था.