विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित धौलरा नामक स्थान पर मौजूद बाबा नाहर सिंह मंदिर में भक्तों की अपार आस्था है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्ति यहां सच्चे मन से मनोकामना मांगता है उसे बाबा नाहर सिंह जरूर पूरा करते हैं. गौरतलब है कि बिलासपुर जनपद के आराध्य देव बाबा नाहर सिंह उन 52 वीरों में से एक है जिनका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. वास्तव में बाबा नाहर सिंह का संबंध कुल्लू जिला से है, लेकिन एक बार यहां ऐसा चमत्कार हुआ जिसके बाद बाबा नाहर सिंह बिलासपुर में लोगों के आराध्य देव बन गए. 


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क्यों है मंदिर की मान्यता?
बता दें, बिलासपुर के प्रतापी राजा दीपचंद जिन्होंने 1653 ई. से 1665 ई. तक कहलूर रियासत जिसे आज बिलासपुर के नाम से जाना जाता है उसका राज काज संभाला था. राजा दीपचंद ने दो विवाह किए थे एक मंडी राजा की पुत्री जलाल देवी और दूसरा कुल्लू की राजकुमारी कुंकुम देवी से. ऐसी मान्यता है कि जब राजा दीपचंद कुल्लू की राजकुमारी कुंकुम देवी को विवाह कर लाने लगे तो उनकी डोली अचानक भारी हो गई, जिसके बाद कुल्लू के राजा ने अपने राजपुरोहित से इसका राज पूछा तो उन्होंने बताया कि इनक देव बाबा नाहर सिंह नाराज हो गए हैं, वह राजकुमारी के साथ कहलूर जाना चाहते हैं. 


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ऐसे हुई मंदिर की स्थापना
यह सब सुनने के बाद कुल्लू के राजा ने हाथ जोड़कर देवता से जाने को कहा, जिसके बाद राजकुमारी कुंकुम की डोली शांति से विदा हुई. वहीं राजकुमारी की डोली के साथ बाबा नाहर सिंह की चरण पादुकाएं भी भेजी गईं, जिसे कहलूर के राजा दीपचंद ने धौलरा स्थित मंदिर की स्थापना कर इन पादुकाओं को स्थापित किया. तभी से इस मंदिर में हर मंगलवार को पूजा-पाठ की जाती है और आज भी यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती रहती है. जेठा मंगलवार को यहां बाबा नाहर सिंह का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है. प्रदेशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में भंडारा भी किया जाता है.


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रानी ने कर लिया था आत्मदाह
कहलूर रियासत के राजा दीपचंद के महल के पास धौलरा में बने बाबा नाहर सिंह मंदिर में आज जेठा मंगलवार के खास मौके पर राज परिवार द्वारा बाबा नाहर सिंह और मां काली की पूजा अर्चना की जाती थी. वहीं, कुछ समय बाद किसी कारणवश राज परिवार में कलह पड़ गई, जिसके चलते रानी कुंकुम देवी ने मंदिर परिसर में ही आत्मदाह कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. वहीं, रानी के वियोग में राजा दीपचंद ने बाबा नाहर सिंह मंदिर में ही रानी कुंकुम देवी का मंदिर भी बनवाया. तभी से जो भी भक्त बाबा नाहर सिंह मंदिर में आते हैं. वह रानी कुंकुम देवी का आशीर्वाद लेने नहीं भूलते है. 


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