Paris Paralympics 2024: पुरुषों के क्लब थ्रो F51 में अपने छह प्रयासों में से पहले चार प्रयासों में धर्मबीर को संघर्ष करना पड़ा. वह क्लब को नेट से घिरे बैठे हुए थ्रोइंग क्षेत्र से साफ-साफ बाहर नहीं निकाल पाए थे और जब उन्होंने निकाला, तो वह थ्रोइंग सेक्टर से बाहर चला गया. वह इस स्पर्धा में पदक के प्रबल दावेदार के रूप में सामने आए और अचानक, दो थ्रो बचे होने पर वह मुश्किल में पड़ गए. सीटेड थ्रो में एथलीट एक बार में सभी छह प्रयास फेंकता है.


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इसके बाद उन्होंने विराम लिया, अपने हार्नेस को ठीक किया, अपनी मुद्रा को फिर से सेट किया, अपनी पकड़ को ठीक किया और पांचवें प्रयास में 34.92 मीटर की दूरी तय करके नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया. बाकी इवेंट में कोई भी उनसे आगे नहीं निकल पाया और धरमबीर ने पैरालिंपिक में भारत के लिए पांचवां स्वर्ण पदक जीतकर टोक्यो के पदकों की बराबरी कर ली.


कैसे शुरू हुआ सफर
धर्मबीर हरियाणा के सोनीपत से हैं. अपने गांव की नहर में गोता लगाने के दौरान हुई दुर्घटना में धर्मबीर कमर से नीचे लकवाग्रस्त हो गए, क्योंकि उन्होंने पानी की गहराई का गलत अनुमान लगाया और नीचे चट्टानों से टकरा गए. 2014 में, धर्मबीर को पैरा स्पोर्ट्स से परिचय हुआ और उन्होंने साथी पैरा एथलीट अमित कुमार सरोहा की देखरेख में क्लब थ्रो की ट्रेनिंग शुरू की, जिनकी हालत भी ऐसी ही है और यही वजह है कि आप अमित को देख सकते हैं, जो फाइनल में भी प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, लेकिन खुद इवेंट में 10वें स्थान पर रहने के बावजूद खुशी से झूम उठे. यह मेंटर-मेंटी जोड़ी के लिए एक खास पल था, जिन्होंने रियो 2016 में एक साथ पैरालिंपिक में भी हिस्सा लिया था.