Shimla Tourism: हिमाचल प्रदेश के समर टूरिस्ट सीजन पर इस बार लोकसभा चुनाव की मार पड़ रही है.  देश में चल रहे लोकतंत्र के पर्व चुनाव के कारण बहुत कम सैलानी पहाड़ों का रुख कर रहे हैं.  इस वजह से गर्मियों में भी हिमाचल के होटलों में शत-प्रतिशत ऑक्यूपेंसी नहीं हो पाई है. वीकेंड पर जरूर 70 से 80 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी पहुंच रही है, लेकिन अन्य दिनों में 50 से 60 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी है. 


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पर्यटन कारोबारियों की माने तो देश में चल रहे चुनाव और गर्मी देरी से पड़ने की वजह से पर्यटक पहाड़ों की सैर पर नहीं आ रहे. इस बार गर्मी भी देरी से शुरू हुई है.  इसका असर पर्यटन सीजन पर देखा जा रहा है. 


वहीं, एक जून के बाद सैलानियों की तादाद बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में एक जून को आखिरी चरण का मतदान है. इसके बाद पहाड़ों पर सैलानियों की तादाद बढ़ सकती है. खासकर नेता और उनके समर्थक चुनावी थकान मिटाने के लिए पहाड़ों का रुख कर सकते है. मगर चिंता इस बात को लेकर है कि 15 जून के बाद प्रदेश में कभी भी प्री मानसून की बारिश शुरू हो सकती है.  मानसून शुरू होने के बाद अक्टूबर तक पहाड़ों पर पर्यटक नहीं आ पाता. 


प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर सुहावना मौसम दुनियाभर में मशहूर मनाली, शिमला, नारकंडा, कसौली, कुफरी, डलहौजी जैसे पर्यटन स्थलों पर इन दिनों सुहावना मौसम बना हुआ है. ऐसे में देश के मैदानी इलाकों में पर्यटक पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं. 


चुनाव के बाद रफ्तार पकड़ेगा पर्यटन सीजनः होटल एसोसिएशन अध्यक्ष
शिमला के होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिन्दर सेठ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब तक देश में चुनाव चल रहा है, तब तक पर्यटन कारोबार पूरी तरह रफ्तार नहीं पकड़ पाएगा. उन्होंने बताया कि शिमला में अभी 50 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी है. जबकि बीते सालों के दौरान गर्मियों में 70 फीसदी से अधिक ऑक्यूपेंसी रहती है और वीकेंड पर यह 90 से 100 फीसदी रहती थी. चुनाव खत्म होने के बाद पर्यटन कारोबार रफ्तार पकड़ पाएगा. 


रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला