राकेश मल्ही/ऊना: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में गेहूं की फसल की कटाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है. किसान दिन-रात अपनी फसल की कटाई करने में जुटे हुए हैं. वहीं, सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, गेहूं खरीद केंद्रों पर फसल की खरीद भी शुरू कर दी गई है. सरकार का प्रयास है कि गेहूं बेचते समय किसानों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो. इसके लिए सरकार ने किसानों से गेहूं की खरीद के साथ-साथ उन्हें ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध करवाई है, जिसके माध्यम से किसान http://hpappp.nic.in ऑनलाईन पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाकर टोकन की बुकिंग के समय जारी किए गए टोकन तिथि के दिन ही अपनी फसल बेच रहे हैं. 


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किसानों के खाते में आ रही फसल बिक्री की धनराशि
इसके अलावा सरकार बेची गई फसल की राशि 24 से 48 घंटों के भीतर ही किसानों के खाते में भेज रही है. जिला के दो स्थानों रामपुर और टकारला में गेहूं खरीद केंद्र खुलने से किसानों को अपनी तैयार फसलों को बिक्री के लिए अब पड़ोसी राज्यों का रुख नहीं करना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्हें बिचौलियों से भी राहत मिली है जो फसल बेचने पर बीच में मुनाफा लेते थे. किसान इन केंद्रों में प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अपनी फसल को आसानी से बेच रहे हैं. 


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करोड़ों की लागत से तैयार हुए फसल खरीद केंद्र 
रामपुर में 2 करोड़ रुपये की धन राशि व्यय करके 500 मिट्रिक टन गेहूं भंडारण वाला और टकाराला में लगभग 3.50 करोड़ रुपये की लागत से गेहूं खरीद केंद्र खोला गया है. पिछले लगभग 3 वर्षों से किसानों को इन गेहूं खरीद केंद्रों पर अपनी फसल बेचने की सुविधा मिल रही है. गेहूं खरीद केंद्रों पर अब तक 500 क्विंटल गेहूं की खरीद की जा चुकी है. इन केंद्रों में जून माह के अंत तक फसल खरीद का कार्य यूहीं चलेगा. 


किसानों की गई खास अपील
भूपिंद्र सिंह ने बताया कि किसानों को अपनी गेहूं की फसल बेचने की राशि का भुगतान 24 से 48 घंटे के भीतर कर दिया जाता है जो सीधे उनके खाते में ट्रांसफर किया जाता है. उन्होंने किसानों से अपील की है कि खरीद केंद्रों पर गेहूं को सुखाकर लाएं. गेहूं में नमी 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए. उन्होंने किसानों से आह्वान किया है कि जिला में खोले गए गेहूं खरीद केंद्रों का लाभ उठाएं.


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खरीद केंद्र खुलने से किसानों को मिल रहा लाभ
वहीं, किसानों का कहना है कि गेहूं का बीज उन्हें सरकार से उपदान पर मिलता है. गेहूं खरीद केंद्र खुलने से उन्हें काफी लाभ हुआ है. पहले उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए पंजाब जाना पड़ता था या बिचैलियों के माध्यम से कम दरों पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ती थी, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता था, लेकिन खरीद केंद्र खुलने से उन्हें उनकी फसल का अच्छा दाम मिल रहा है और बेची गई फसल की राशि सीधा उनके बैंक खातों में आ रही है. 


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