Gita Press Gorakhpur to be honoured with Gandhi Peace Prize 2021 news in Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल द्वारा वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया गया है. मिली जानकारी के मुताबिक यह पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है. हालांकि गीता प्रेस, गोरखपुर के गांधी शांति पुरस्कार 2021 के लिए हुए चयन पर कांग्रेस पार्टी ने नाराज़गी जताई है. 


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1923 में स्थापित गीता प्रेस विश्व में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है और इस प्रेस ने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है. इन पुस्तकों में से 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता हैं. सबसे ख़ास बात यह है कि इस संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए और इतना ही नहीं बल्कि यह अपने संबद्ध संगठनों के साथ जीवन के उत्तरोत्तर विकास और सर्वजन-कल्याण के लिए प्रयासरत है.


इतना ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान का स्मरण किया गया. पीएम मोदी ने कहा कि गीता प्रेस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया जाना, संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करना है.


इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की और इसे ‘उपहास’ बताया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है. इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है.’’ 


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उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.’’ इसके बाद भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस पर पलटवार भी किया. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कांग्रेस पार्टी गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है क्योंकि वह सनातन का संदेश फैलाता है.


गांधी शांति पुरस्कार की शुरुआत उस समय की सरकार द्वारा 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की गई थी.


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