राकेश मल्ही/ऊना: भदसाली के रमन कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद प्रतिगतिशील किसान बनकर मिसाल पेश की है. दिव्यांग होकर भी रमन ने हार नहीं मानी और खेतीबाड़ी को अपनाया. रमन कुमार का कहना है कि जब उन्होंने खेतीबाड़ी का कार्य शुरू किया तो वह कैमिकल युक्त खेती करते थे, जिससे फसलों की पैदावार में कमी होने के साथ-साथ खेतों की मिट्टी भी खराब हो रही थी. खेतों में रसायनों का इस्तेमाल करने से सामान्य वर्षा होने पर भी फसल पानी को सोख नहीं पाती थी और फसलें खराब हो जाती थीं. 


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ऐसे की प्राकृतिक खेती की शुरुआत
रमन कुमार ने बताया कि रसायन युक्त खेती से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया. इसके लिए उन्होंने पालमपुर में प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली. टेनिंग के उपरांत उन्होंने 25 बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया, जिससे खेतों की मिट्टी एक बार फिर सजीव हो उठी और फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई. इससे कृषि करने की लागत में भी कमी आई है.


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खरीददार भी घर से खरीद रहे सब्जियां
उन्होंने बताया कि फिलहाल रमन कुमार अरबी, प्याज और लहसुन की खेती करते हैं. ज्यादातर प्राकृतिक उत्पाद वह अपने घर से ही बेच देते हैं. वर्तमान में रमन कुमार प्याज, फुलगोभी, बदगोभी, ब्रोकली, बैंगन, बैंगनी, टमाटर, गेंदा, शिमला मिर्च और हरी मिर्च की पनीरी भी प्राकृतिक खेती की विधि से तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक तरीके से तैयार की गईं सब्जियों की पनीरी लोग उनके घर से ही अच्छे दामों पर खरीद कर लेते हैं. 


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प्राकृतिक खेती की विधि से तैयार फसलों से सालाना हो रहा 4 लाख रुपये का मुनाफा 
रमन कुमार ने बताया कि उन्होंने प्राकृतिक खेती के साथ-साथ देसी गाय भी पाल रखी हैं, जिसके मल-मूत्र से बनने वाले उर्वरकों का प्रयोग वह प्राकृतिक खेती में करते हैं. देसी गाय खरीदने, संसाधन भंडार और गाय शेड लाईनिंग और घोल बनाने के लिए उन्हें ड्रम भी विभाग द्वारा अनुदान पर उपलब्ध करवाए गए हैं. रमन कुमार ने बताया कि प्राकृतिक खेती करने के लिए एक माह में लगभग 26 हजार रुपये का लेबर खर्च आता है. खेतीबाड़ी का कार्य करने के लिए उन्होंने 4 लोगों को रखा हुआ है. रमन कुमार प्राकृतिक खेती की विधि से तैयार फसलों से सालाना 4 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं. 


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