विपन कुमार/धर्मशाला: जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल का सेहल 'फल उत्पादक' गांव के रूप में जाना जाने लगा है. सरकार के सहयोग से इस गांव के 34 परिवारों ने अमरूद उत्पादन में मिसाल पैदा की है. लावारिस और जंगली जानवरों के डर से खेती-बाड़ी छोड़ चुके लोग अब किसानों को फल उगाने के लिए  प्रेरित कर रहे हैं.


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प्रदेश सरकार की एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तपोषित एचपी शिवा परियोजना (सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, इरीगेशन एंड वैल्यू एडिशन प्रोजेक्ट) के अंतर्गत सेहल गांव में 6 हेक्टेयर (150 कनाल) क्षेत्र में अमरूद और संतरे का बगीचा लगाया गया है. प्रदेश के बागवानी विभाग की निगरानी में तैयार हुए इस बगीचे में अमरूद के 12,950 और संतरे के 450 उन्नत किस्म के साढ़े 13 हजार पौधे तैयार किए गए हैं. ललित, स्वेता और वीएनआर बीही किस्म के पौधे में 3 साल बाद 30 किलो फल देने की क्षमता है. 


सिंचाई के लिए की गई खास व्यवस्था
जंगली और लावारिस जानवरों से फसल को बचाने के लिए पूरे क्षेत्र की सोलर बाड़-बंदी की गई है. पौधों को समय पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए आधुनिक सोलर सिंचाई तकनीक का प्रयोग कर सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, जिसमें सिंचाई के लिए बिजली की कोई जरूरत नहीं है. यहां सिंचाई के लिए लगभग एक लाख लीटर क्षमता का ओवर हेड टैंक भी बनाया गया है.


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अमरूद के एक हजार और संतरे के 450 पौधे किए गए रोपित
सेहल निवासी राजेंद्र कुमार, रमेश शर्मा, गंगा राम और संदीप कुमार ने कहा कि एचपी शिवा परियोजना के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्रदर्शन के रूप में एक हजार अमरूद और 450 संतरे के पौधे रोपित करवाएं थे. अच्छी आमदन और प्रोजेक्ट की सफलता से प्रभावित होकर गांव के अन्य 34 परिवारों ने रुचि दिखाई और 5 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद का उत्पादन शुरू किया है. सिंचाई की सुविधा होने के चलते अमरूद के बगीचे में मिश्रित खेती कर किसान मौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं.


सीधा खेत से ही 50 रुपये किलो बिक रहा अमरूद 
वहीं, किसानों का कहना है कि सरकार के सहयोग से अमरूद के कई पौधे लगाए हैं, जिससे अच्छी आय प्राप्त होने से गांव के कई लोगों को रोजगार भी मिले हैं. अमरूद की अच्छी मांग होने से खेत से ही 50 रुपये किलो अमरूद बिक रहा है. बड़े आकार के ये अमरूद खाने के साथ-साथ प्रंसकरण के लिए भी उपयुक्त हैं. उनके खेतों में ही वैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध करवाने के लिए किसानों ने प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया. उनका कहना है कि प्रदेश में फल उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं और यह आमदनी का भी अच्छा माध्यम है, इसलिए अधिक से अधिक किसानों को फल उत्पादन के लिए आगे आना चाहिए.


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किसानों के कृषि की ओर वापस लाने है मकसन
बैजनाथ उद्यान विभाग के विषय वाद विशेषज्ञ डॉ. अजय संगराय के मुताबिक प्रदेश को फल राज्य बनाने की दिशा में एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से यह एचपी शिवा परियोजना संचालित की जा रही है. यह 300 करोड़ की परियोजना है. इसके अंतर्गत किसान जंगली जानवर, आवारा पशु और बंदरों के कारण अपने कृषि कार्यों को छोड़ चुके हैं, लेकिन इस योजना के माध्यम से उन्हें फिर से कृषि की ओर लाना है. 


किसानों के लिए इन सुविधाओं का किया गया प्रावधान
इस योजना में किसानों को आर्थिक रूप में सुदृढ़ करने के लिए 80-20 के अनुपात में सरकार सहयोग दे रही है. मिट्टी की जांच और फलों के लिए अनुकूल जलवायु के अनुरूप किसानों को संतरा, अमरूद, अनार, आम और लीची के उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कर फल उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस योजना में 10 हेक्टर क्षेत्र (250 कनाल) तक किसानों को सामूहिक रूप में फलों के पौधे लगाने में सहयोग दिया जा रहा है. परियोजना में किसानों के लिए लोकल मार्केट, कोल्ड स्टोर और मार्केटिंग यार्ड इत्यादि की सुविधा का प्रावधान किया गया है.


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