Jod Fair: बेहद खास है हिमाचल प्रदेश में लगने वाला जोड़ मेला, जानें क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह?
Himachal Pradesh Jod Mela: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ऊना के संतोषगढ में गुरु रविदास मंदिर के जोड़ मेले में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. इस दौरान उनका जोरदार स्वागत किया गया.
राकेश मल्ही/ऊना: हिमाचल प्रदेश में जिला ऊना के संतोषगढ़ स्थित गुरु रविदास मंदिर में लगने वाले जोड़ मेले में हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकरत की. जहां मंदिर कमेटी के सदस्यों द्वारा ढोल नगाड़ों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया गया और उन्हें मंदिर तक ले जाया गया. मंदिर पहुंचते ही राज्यपाल ने गुरु रविदास महाराज का आशीर्वाद लिया और मंदिर में लगी प्रदर्शनियों को देखा.
पटका देकर किया गया सम्मानित
इस दौरान मंदिर कमेटी के सदस्य द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी भी दी गई. राज्यपाल ने मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले संघर्ष समिति के सदस्यों को पटका पहना कर उन्हे सम्मानित किया. इसके साथ ही मंदिर संघर्ष समिति में अहम योगदान देने वाले पंजाब के पूर्व विधायक शिंगारा राम सूंगडा के परिवार को भी सम्मानित किया. वहीं, मंदिर कमेटी द्वारा राज्यपाल और उनके साथ आए बीजेपी विधायक सतपाल सत्ती डीसी ऊना राघव शर्मा को महाराज का स्मृति चिन्ह और पटका देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान एक लड़की द्वारा महामहिम राज्यपाल को ऊना का स्केच बनाकर भी उन्हें भेंट किया गया.
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गुरु रविदास महाराज के उपदेशों को अमल करने की कही बात
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें यहां आकर काफी खुशी महसूस हो रही है. इस 'जोड़ मेले' के पीछे संघर्ष समिति ने जो कष्ट झेले हैं उन्हें लिखित में इतिहास के रूप में भविष्य में आगे लाने की जरूरत हैं. उन्होंने गुरु रविदास महाराज द्वारा दिए गए उपदेशों पर अमल किए जाने की भी बात कही. इसके साथ ही उन्होंने मंदिर कमेटी और वहां मौजूद सभी लोगों को 'जोड़ मेले' की बधाई भी दी.
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क्यों मनाया जाता है जोड़ मेला?
बता दें, जनवरी 2005 को संतोषगढ़ के गुरु रविदास मंदिर को बचाने के लिए जिला ऊना सहित हिमाचल पंजाब और अन्य राज्यों के साथियों ने काफी संघर्ष किया था. उस समय 100 से ज्यादा क्रांतिकारियों ने 35 दिन तक जेल में यातनाएं भी झेली थीं. उन सभी के संघर्ष के बाद संतोषगढ़ में यह भव्य मंदिर स्थापित किया गया और उन्हीं की याद में उनकी शान और श्रद्धाभाव से मनाया जाता है.
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